Logo

सप्त मातृकाओं में ब्रह्माणी

सप्त मातृकाओं में ब्रह्माणी

सप्त मातृकाओं में ब्रह्माणी का प्रथम स्थान, मां के चार सिर और छह भुजाएं


सनातन धर्म में देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और उनकी आराधना करने का बहुत अधिक महत्व है। नवरात्रि में माता के नौ रूपों के अलावा सप्त मातृकाओं की पूजा का भी विशेष विधान है। इन सप्त मातृकाओं में प्रथम स्थान देवी ब्राह्मणी या ब्राह्मी का है। ब्रह्मा के अंश से उत्पन्न होने के कारण माता का नाम ब्राह्मी या ब्रह्माणी हुआ। सात मातृकाओं में से एक ब्रह्माणी हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। यह माता सरस्वती का एक रूप हैं जिसे भगवान ब्रह्मा से शक्ति प्राप्त है। आदि शक्ति स्वरूपा मां ब्रह्माणी सरस्वती में रजस गुण है।


ऐसा है ब्रह्माणी का स्वरूप 


देवी ब्रह्माणी के चार सिर और छह भुजाएं हैं। माता पीले रंग की साड़ी में हाथों में जपमाला, कमंडल, कमल का डंठल, घंटियां, वेद और त्रिशूल धारण किए हुई हैं।

माता का वाहन हंस है। मां कमलासन पर भी विराजमान हैं। माता ब्रह्माणी को बुनकर, प्रजापति, नागर ब्राह्मण, दर्जी समाज, डोडिया राजपूत समुदायों की कुलदेवी कहा गया हैं। 


माता ब्रह्माणी का मंदिर

  • राजस्थान के बारां, सोरसन, अंजार और हनुमानगढ़ के पास पल्लो में ब्रह्माणी माता मंदिर है।
  • उत्तर प्रदेश के बलिया और हिमाचल प्रदेश के चंबा के पास भरमौर में ब्रह्माणी माता मंदिर है।
  • गुजरात के कलोल के डिंगुचा, जमीयतपुरा, गांधीनगर, भिलोदा जिले के नरसोली गांव में ब्रह्माणी माता मंदिर है। 
  • गोवा के मोल्लेम में भी ब्रह्माणी माता मंदिर है। 

........................................................................................................
दिल में श्री राम बसे हैं, संग माता जानकी(Dil Mein Shree Ram Base Hai Sang Mata Janki)

दिल में श्री राम बसे हैं,
संग माता जानकी,

डिम डिम डमरू बजावेला हामार जोगिया(Dim Dim Damroo Bajavela Hamar Jogiya)

डिम डिम डमरू बजावेला हामार जोगिया
हे हमार जोगिया हो हमार जोगिया

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजे(Dimik Dimik Damru Kar Baje)

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजे,
प्रेम मगन नाचे भोला, भोला,

दिन जिंदगी के चार, चाहे कम देना (Din Jindagi ke Char Chahe kam dena)

दिन जिंदगी के चार,
चाहे कम देना,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang