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ब्रह्म सरोवर मंदिर कुरूक्षेत्र (Brahma Sarovar Temple Kurukshetra)

ब्रह्म सरोवर मंदिर कुरूक्षेत्र (Brahma Sarovar Temple Kurukshetra)

भगवान ब्रह्मा ने यज्ञ करने के लिए किया इस सरोवर का निर्माण, दुर्योधन और अलबरूनी से जुड़ा इतिहास 


ब्रह्म सरोवर भारत के हरियाणा के थानेसर में स्थित है एक सरोवर माना जाता है जो हिंदुओं की आस्था के लिहाज से बेहद पवित्र माना जाता है। सूर्यग्रहण के अवसर पर यहां विशाल मेला लगता है। इस मौके पर लाखों लोग ब्रह्म सरोवर में स्नान करते है। कई एकड़ में फैले इस तीर्थ का मौजूदा स्वरूप सुंदर और सुसज्जित है। कुरुक्षेत्र के जिन स्थानों की प्रसिद्धि संपूर्ण विश्व में फैली हुई है उनमें ब्रह्मसरोवर सबसे प्रमुख है। इस तीर्थ के विषय में महाभारत और वामन पुराण में भी उल्लेख मिलता है।  


भगवान ब्रह्मा से जुड़ी सरोवर की कथा 


किवदंतियों के अनुसार, ब्रह्मा ने एक विशाल यज्ञ के बाद कुरुक्षेत्र की भूमि से ब्रह्माण्ड का निर्माण किया। यहां का ब्रह्म सरोवर सभ्यता का पालन माना जाता है। सरोवर का उल्लेख 11वीं शताब्दी के अल बरुनी के संस्मरणों में मिलता है, जिसे किताब-उल-हिंद कहा जाता है। सरोवर का उल्लेख महाभारत में भी है कि युद्ध के समापन के दिन दुर्योधन ने खुद को पानी के नीचे छिपाने के लिए इसका इस्तेमाल किया था। 


सरोवर के भीतर बना है शिव मंदिर 


भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र मंदिर सरोवर के भीतर है, जहां पहुंचने के लिए पुल बना हुआ है। शास्त्रों के अनुसार, इस सरोवर में स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ की पवित्रता बढ़ती है। सरोवर में हर साल नवंबर के अंतिम सप्ताह और दिसंबर की शुरुआत में गीता जयंती समारोह के दौरान एक सांस लेने वाला दृश्य दिखाई देता है, जब पानी में तैरते दीपों का गहरा दान समारोह होता है और आरती होती है। ये वह समय होता है जब दूर-दूर से प्रवासी पक्षी सरोवर में आते हैं। 


भगवान श्री कृष्ण ने इस सरोवर में स्नान किया 


कुरुक्षेत्र केवल महाभारत के कारण ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि कई ऐतिहासिक घटनाओं के कारण भी कुरुक्षेत्र को प्रसिद्धि मिली है। महाराजा कुरु के नाम पर बसे इस शहर में समय-समय पर कई प्रकार की सभ्यता और संस्कृति का जन्म हुआ। सरस्वती नदी को सृष्टि के रचियता ब्रह्मा की पुत्री कहा जाता है। यहां पर आदिकाल में नौ नदियां व सात वन थे, जिनमें सरस्वती नहीं भी थी। अतीत में ब्रह्म सरोवर का नाम ब्रह्म वेदी और रामहृद भी रहा है। बाद में राजा कुरु के नाम पर कुरुक्षेत्र हुआ। कुरुक्षेत्र का अतीत अत्यंत दिव्य और गौरवमय रहा। इसी धरती पर ऋषियों ने वेदों की रचना की और ब्रह्मा ने विशाल यज्ञ किया। यहीं पर महर्षि दधीचि ने इंद्र को अस्थिदान किया था। इस सरोवर को लेकर मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने भी इस सरोवर में स्नान किया था।


कब करें यहां कि यात्रा


ब्रह्म सरोवर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर और दिसंबर में होता है। जब गीता जयंती मनाई जाती है। इस दौरान मौसम भी सुहाना होता है और इस जगह को खूबसूरती से सजाया जाता है और देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग पहुंचते है।


कुरुक्षेत्र में गीता जयंती क्यों मनाई जाती है


मान्यता है कि जिस दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था उस दिन मार्गशीर्ष माह के शुल्क पक्ष की एकादशी थी, इसलिए इस दिन को गीता जयंती के रुप में मनाया जाता है। इस दिन पर उपवास करने की मान्यता है। गीता जयंती के दिन उपवास करने से मन पवित्र होता है और शरीर स्वस्थ रहता है। कहा जाता है इस दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को धर्म और कर्म को समझाते हुए उपदेश दिया था। महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण के द्वारा जो उपदेश दिए गए उसे गीता कहा जाता है। गीता के उपदेश में जीवन, धर्म का अनुसरण करने और कर्म के महत्व को समझाया गया है। गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी हर साल जयंती मनाई जाती है।


कैसे पहुंचे 


हवाई मार्ग - यहां के लिए निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली और चंडीगढ़ है। इस एयपोर्ट्स से आप टैक्सी सेवा लेकर ब्रह्म सरोवर पहुंच सकते हैं। दिल्ली से कुरुक्षेत्र की दूरी 160 किलोमीटर है।

रेल मार्ग - कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन जिसे कुरुक्षेत्र जंक्शन भी कहा जाता है, मुख्य दिल्ली - अंबाला रेलवे लाइन पर स्थित है। कुरुक्षेत्र देश के सभी महत्वपूर्ण शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। 

सड़क मार्ग - हरियाणा रोडवेज और अन्य पड़ोसी राज्य निगम बसें कुरुक्षेत्र को दिल्ली, चंडीगढ़ और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों जैसे अन्य शहरों से जोड़ती है।

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