हनुमान जी को समर्पित जाखू मंदिर, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में जाखू पहाड़ी पर स्थित है। धार्मिक पर्यटन के अलावा ये स्थान ट्रैकिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। 108 फीट ऊंची इस प्रतिमा को शिमला के किसी भी कोने से देखा जा सकता है। जाखू मंदिर की चोटी से शिमला शहर का विहंगम नजारा देखा जा सकता है।
जाखू मंदिर से एक रोचक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। रामायण के युद्ध में जब शक्ति अस्त्र से लक्ष्मण मृ्त्यु शय्या पर थे, तब हनुमान को संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय भेजा गया था। हिमालय की ओर जाते हुए हनुमान जी की मुलाकात पहाड़ी की चोटी पर ऋषि याकू से हुई। हनुमान ने पहाड़ पर बैठकर जड़ी-बूटी के बारे में उनके संदेह को दूर किया। जड़ी बूटी के बारे में पर्याप्त जानकारी इकट्ठा करने के बाद उन्होंने याकू से वादा किया कि वे लंका वापस जाते समय उनसे मिलेंगे। हालांकि वापस आते समय उन्हें कालनेमि नामक राक्षस से युद्ध करना पड़ा। इसमें उनका बहुत सारा समय बर्बाद हो गया। समय से लंका पहुंचने के लिए, उन्होंने ऋषि से न मिलने का विकल्प चुना और सबसे छोटा रास्ता चुना।
जब ऋषि निराश हुए, तो हनुमान व्यक्तिगत रूप से मिलने और वचन तोड़ने का कारण बताने पहुंचे। जब हनुमान वहां से चले गये तो पहाड़ी पर उनकी एक मूर्ति प्रकट हुई। भगवान की यात्रा की सम्मान करने के लिए याकू ने वहां एक मंदिर बनवाया। आज भी माना जाता है कि मंदिर में हनुमान के पैरों के निशान है और मंदिर के आसपास रहने वाले बंदर भगवान हनुमान के वंशज है। हनुमान जी की ये स्वयंभू प्रतिमा आज भी मंदिर के आंगन में स्थापित है।
मंदिर परिसर में कई पेंटिंग है जो रामायण के दौरान हनुमान की कहानी को दर्शाती हैं। 2010 में स्थापित हनुमान जी की 108 फीट लंबी मूर्ति आकर्षण का केन्द्र है। सालों से बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। यह पैदल, निजी कार या रोपवे से पहुंचा जा सकता है। पैदल चलने वालो के लिए प्रवेश द्वार के पास लकड़ी के डंडे का इंतजाम किया गया है। रोपवे से यात्रा करने वाले पर्यटक शिमला में रिज नामक स्थान से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
मंदिर जाते वक्त अपने हाथ में कुछ न रखें क्योंकि यहां के बंदर आपसे चीजे छीनने के लिए बहुत मशहूर है। वहीं जाते वक्त बंदरों से नजरे न मिलाये। आप उन्हें दूर करने के लिए छड़ी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
एस्केलेटर को मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर 108 फीट ऊंचा मूर्ति तक बनाया गया है। इस एस्केलेटर को दो हिस्सों में बनाया गया है, एक एस्केलेटर की लंबाई करीब 11 मीटर है। एक घंटे के अंदर इस एस्केलेटर से लगभग 6 हजार लोग मंदिर तक जा सकते हैं। बता दें, इसे बनाने में करीब डेढ़ साल लगे, और इसकी लागत 8 करोड़ रुपये आई है। अब एस्केलेटर की मदद से करीब डेढ़ मिनट में आप ये सफर पूरा कर सकते हैं।
हवाई अड्डा - हवाई मार्ग द्वारा शिमला आसानी से पहुंचा जा सकता है। जुब्बरहट्टी नाम की जगह पर इसका अपना हवाई अड्डा है, जो मुख्य शहर केंद्र से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नई दिल्ली, चंडीगढ़ और कुल्लू से उड़ाने दैनिक आधार पर संचालित है। आप हवाई अड्डा से टैक्सी से मंदिर तक जा सकते हैं।
रेल मार्ग - रेलमार्ग से भी शिमला देश के बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। शिमला की रेल लाइन अपनी सुंदरता के लिए विश्व विख्यात है। कालका-शिमला रेल लाइन को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा प्राप्त है।
सड़क मार्ग - शिमला उत्तर भारत के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। चंडीगढ़, शिमला से निकटतम प्रमुख शहर है जो यहां से 120 किमी की दूरी पर है। दिल्ली से शिमला की दूरी लगभग 380 किमी है, लेकिन दिल्ली से शिमला पहुंचने के लिए कई सारे साधन उपलब्ध हैं।
आजा माँ आजा माँ एक बार,
मेरे घर आजा माँ,
लागे वृन्दावन नीको,
सखी मोहे लागे वृन्दावन नीको।
आना गणपति देवा,
हमारे घर कीर्तन में,
आना हो श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना,