समुद्र मंथन और धनवंतरी की कहानी: धनतेरस व्रत कथा (Samudra Manthan aur Dhanvantari ki kahani)

प्राचीन कल की बात हैं दुर्वासा ऋषि के शाप के कारण सभी देवता भगवान विष्णु के साथ शक्तिहीन हो गए थे और साथ ही असुरो की शक्ति भी बढ़ गई थी। जिसके कारण भगवान नारायण ने देवताओ को असुरों के साथ मिलकर सागर मंथन करने का आदेश दिया। 


भगवान की आज्ञा से जब देवताओं ने सागर मंथन किया तो एक-एक करके सागर से 16 रत्न प्रकट हुए। सबसे अंत में हाथ में अमृत का कलश लेकर भगवान धन्वंतरि अवतरित हुए। जिस दिन भगवान धन्वंतरि का अवतार हुआ था। वह कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी का दिन था। 


तभी से उस दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी यानी (धनतेरस) के नाम से जाना जाने लगा। इस मंगलमय कथा को पढ़ने, सुनने और लोगों को सुनने वालों को अरोग्य को प्राप्त होता हैं और वह निरोगी जीवन जीते हैं। 


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विसर नाही दातार अपना नाम देहो - शब्द कीर्तन (Visar Nahi Datar Apna Naam Deho)

गुण गावा दिन रात गुण गवा,
विसर नाही दातार अपना नाम देहो,

प्रथम गणराज को सुमिरूं, जो रिद्धि सिद्धि दाता है (Pratham Ganraj Ko Sumiru Jo Riddhi Siddhi Data Hai)

जो रिद्धि सिद्धि दाता है,
प्रथम गणराज को सुमिरूँ,

शबरी जंयती की पूजा विधि

शबरी जयंती सनातन धर्म में महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। हर साल माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में शबरी जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।

मां शेरावालिये तेरा शेर आ गया (Maa Sherawaliye Tera Sher Aa Gaya)

जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी

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