ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
इति श्रीधन्वन्तरिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
शबरी तुम्हरी बाट निहारे,
वो तो रामा रामा पुकारे,
सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हे,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये,
सबसे पहला मनावा,
थाने देवा रा सरदार,
सबसे पहले मनाऊँ गणराज,
गजानंद आ जइयो,