प्रयागराज हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में गिना जाता है। महादेव की इस पावन नगरी में 12 जनवरी से 26 फरवरी के बीच कुंभ मेले का आयोजन होने वाला है। देश-दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां के संगम घाट पर स्नान करने पहुचेंगे। यह घाट करोड़ों श्रद्धालुओं को सबसे बड़ा आस्था का केंद्र है। पौराणिक कथाओं के अनुसार संगम पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी का मिलन होता है। यहां स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही यहां पर स्नान करने से शरीर और मन में ताजगी और ऊर्जा आ जाती है। चलिए आपको प्रयागराज के संगम तट पर स्नान करने के फायदों के बारे में बताते हैं।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कुंभ मेले के दौरान संगम पर स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मन शुद्ध होता है। इसके अलावा मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। कुंभ के समय संगम पर देवताओं का निवास होता है। यहां स्नान करने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
संगम तट पर स्नान करने से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है और मानसिक शांति मिलती है। संगम में स्नान करने को एक नई शुरुआत के रूप में देखा जाता है। जो व्यक्ति को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है। वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है कि पानी में समय बिताने से तनाव कम होता है और मन की सकारात्मकता बढ़ती है।वहीं स्नान करते समय मंत्रोच्चार और ध्यान व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को और मजबूत बनाते हैं।
संगम पर स्नान करने लाखों लोग आते हैं , जिससे धर्म का प्रचार प्रसार होता है। इससे सांस्कृतिक एकता भी बढ़ती है। विभिन्न जाति और धर्म के लोग संगम पर एक साथ आकर भाईचारे का प्रदर्शन करते हैं। इससे सेवा कार्य की भी भावना को बढ़ावा मिलता है।
गंगा और यमुना का जल औषधीय गुणों से भरपूर है। इसी कारण से संगम पर स्नान करने से त्वचा संबंधी समस्याएं कम होती हैं और रक्त संचार में सुधार होता है। संगम का ठंडा पानी शरीर को ताजगी प्रदान करता है, थकान दूर करता है, और मांसपेशियों को आराम देता है। यहां स्नान करने से इम्यून सिस्टम को भी मजबूत मिलती है।
संगम तट पर स्नान करते हुए, व्यक्ति प्रकृति के साथ एक अटूट बंधन महसूस करता है। नदियों का स्वच्छ जल और चारों ओर की हरियाली, मन को शांति और आत्मा को प्रसन्नता प्रदान देती हैं। यह अनुभव व्यक्ति को प्रकृति के प्रति आत्मीयता का भाव जगाता है और उसे पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करता है।
तुला राशि के लिए 2025 का साल प्रेम और दांपत्य जीवन में मिश्रित परिणाम लेकर आएगा। साल की शुरुआत में पंचम भाव में शनि का प्रभाव प्रेम संबंधों में ठहराव और खींचातानी का कारण बन सकता है। मार्च के बाद स्थितियां सुधरेंगी और रिश्तों में नई ऊर्जा आएगी। मई में राहु पंचम भाव में प्रवेश करेगा।
2025 में कन्या राशि के जातकों के लिए प्रेम जीवन में चुनौतीपूर्ण और खुशनुमा दोनों ही पल आएंगे। रिश्तों में मिठास बनाए रखने के लिए आपको धैर्य, समझदारी और अपने पार्टनर की भावनाओं का सम्मान करना होगा।
2025 वृश्चिक राशि के जातकों के लिए प्रेम और वैवाहिक जीवन में नई खुशियां लेकर आएगा। साल की शुरुआत में बृहस्पति के सकारात्मक प्रभाव से आप रिश्तों में आराम और सुकून महसूस करेंगे। प्रेमी जोड़ों के लिए यह साल यादगार रहेगा। मई के बाद राहु-केतु का प्रभाव खत्म होने से गलतफहमियां दूर होंगी।
साल 2025, धनु राशि के जातकों के लिए प्रेम संबंधों में कई उतार-चढ़ाव लेकर आएगा। साल की शुरुआत थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। इसलिए, रिश्तों में समझदारी और धैर्य की जरूरत होगी।