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त्रिवेणी संगम पर शाही स्नान का महत्व

त्रिवेणी संगम पर शाही स्नान का महत्व

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में त्रिवेणी संगम पर शाही स्नान करने का महत्व,जानें इसके विशेष कारण


महाकुंभ मेला (Mahakumbh Mela 2025) हर बार ज्योतिषीय गणना के आधार पर आयोजित किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संत भाग लेते हैं। यह मेला 12 साल के अंतराल में आयोजित होता है, और इस बार इसका भव्य आयोजन प्रयागराज में होने जा रहा है। इस अवसर पर त्रिवेणी संगम पर स्नान करने का विशेष महत्व है, जिसे जानने के लिए आइए, हम आपको इसके महत्व के बारे में बताते हैं।


धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाकुंभ में स्नान करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी पापों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। प्रयागराज में महाकुंभ में त्रिवेणी संगम के तट पर स्नान करने का विशेष महत्व है। इस त्रिवेणी संगम पर स्नान करने को शाही स्नान के नाम से जाता है। क्या आपको पता है कि त्रिवेणी संगम पर शाही स्नान किस कारण से किया जाता है? अगर नहीं पता, तो ऐसे चलिए आपको इसके महत्व के बारे में बताएंगे।  


प्रयागराज का त्रिवेणी संगम हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का मिलन होता है। यह स्थल धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है, खासकर महाकुंभ, कुंभ और अर्धकुंभ मेले के दौरान। मान्यता है कि त्रिवेणी संगम में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके पाप समाप्त हो जाते हैं। महाकुंभ के समय शाही स्नान का आयोजन किया जाता है, जहां साधु-संत विशेष रूप से स्नान करते हैं, जिन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है। साधु-संतों के स्नान के बाद श्रद्धालु भी त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं, जिससे यह अवसर और भी विशेष बन जाता है।



आखिर क्या होता है संगम का अर्थ


संगम का अर्थ है 'मिलन'। यह शब्द उस स्थान को दर्शाता है, जहां दो या दो से अधिक जल धाराएं एक साथ मिलती हैं। भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में संगम का विशेष महत्व है, खासकर जब यह नदियों के मिलन की बात होती है। त्रिवेणी संगम, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियाँ मिलती हैं, को विशेष रूप से पुण्य स्थल माना जाता है, और यहाँ स्नान को एक अत्यंत शुभ और दिव्य कार्य के रूप में देखा जाता है।



शाही स्नान की प्रमुख तिथियां निम्नलिखित हैं:


  • 14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति
  • 29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या
  • 3 फरवरी 2025: बसंत पंचमी
  • 12 फरवरी 2025: माघी पूर्णिमा
  • 26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि


इन तिथियों पर होने वाले शाही स्नान का महत्व विशेष धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है, और लाखों श्रद्धालु इन अवसरों पर संगम में स्नान करने के लिए एकत्र होते हैं।


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मेरे राम मेरे घर आएंगे, आएंगे प्रभु आएंगे(Mere Ram Mere Ghar Ayenge Ayenge Prabhu Ayenge)

मेरे राम मेरे घर आएंगे,
आएंगे प्रभु आएंगे

मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे(Mere Ram Rai Tu Santa Ka Sant Tere)

मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे ॥
तेरे सेवक कउ भउ किछु नाही, जमु नही आवै नेरे ॥

मेरे संग संग चलती(Mere Sang Sang Chalti)

संकट में झुँझन वाली की,
सकलाई देखि है,

मेरे सिर पर रख दो भोले(Mere Sar Par Rakh Do Bhole)

मेरे सिर पर रख दो भोले,
अपने ये दोनों हाथ,

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