नई दुकान खोलना एक महत्वपूर्ण कदम है जिसमें आपके भविष्य की सफलता और समृद्धि की नींव रखी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, किसी भी नए उद्यम की शुरुआत करने से पहले शुभ मुहूर्त और तिथि का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल आपके व्यवसाय की सफलता को सुनिश्चित करता है बल्कि आपके जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि को भी बढ़ावा देता है। इस आर्टिकल में हम आपको मार्च 2025 में नई दुकान खोलने के लिए शुभ मुहूर्त और तिथियों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
ज्योतिष के अनुसार, मुहूर्त से तात्पर्य किसी महत्वपूर्ण कार्य को शुरू करने के लिए सबसे अनुकूल समय से है। ऐसे ही नई दुकान शुरू करना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है और इसके लिए शुभ दिन का चयन करना बहुत जरूरी है। नक्षत्र, तिथि और ग्रहों की स्थिति के आधार पर निर्धारित एक अच्छा मुहूर्त, कार्य को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है जिससे विकास, सफलता और बाधाओं से सुरक्षा सुनिश्चित होती है। नई दुकान खोलने के लिए द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, अष्टमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, पूर्णिमा तिथियां शुभ मानी गई है। तो आइए, जानें व्यवसाय शुरू करने के लिए शुभ दिन कौनसे हैं:
वास्तु शास्त्र के अनुसार, नई दुकान के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए। इनमें से एक महत्वपूर्ण बात यह है कि काउंटर का आकार गोलाकार न होकर कोणीय, वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि गोलाकार आकृतियां आर्थिक नुकसान का कारण बन सकती हैं।
काउंटर की स्थिति भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसे दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए क्योंकि ये दिशाएं सबसे अच्छी मानी जाती हैं। इसके अलावा, काउंटर पर पर्याप्त जगह होनी चाहिए ताकि ग्राहकों को आसानी से सेवा प्रदान की जा सके।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि संभव हो तो उत्तर दिशा की ओर खुलने वाला एक अलग कैश काउंटर होना चाहिए। इससे व्यवसाय में सुख-समृद्धि और वृद्धि की संभावना बढ़ जाती है।
इन वास्तु टिप्स का पालन करके, आप अपनी दुकान में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं और अपने व्यवसाय को सफल बना सकते हैं।
पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो इस साल 22 दिसंबर को मनाया जा रहा है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पहली पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्म की याद में मनाया जाता है।
सनातन धर्म में 33 करोड़ यानी कि 33 प्रकार के देवी-देवता हैं। जिनकी पूजा विभिन्न विधि-विधान के साथ की जाती है। इन्हीं में एक नागराज वासुकी हैं। वासुकी प्रमुख नागदेवता हैं और नागों के राजा शेषनाग के भाई हैं।
चित्ररथ को एक महान गंधर्व और देवताओं के प्रिय संगीतज्ञ के रूप में माना जाता है। वह स्वर्गलोक में देवताओं के महल में निवास करते थे। उनका संगीत और गायन दिव्य था। ऐसा कहा जाता है कि कहा जाता है कि चित्ररथ के संगीत और गान में इतनी शक्ति थी कि वे अपने गाने से भगवान शिव और अन्य देवताओं को प्रसन्न कर सकते थे।
रामजी का मंदिर बनेगा धीरे धीरे
सरयू के तीरे, सरयू के तीरे