सनातन धर्म में 33 करोड़ यानी कि 33 प्रकार के देवी-देवता हैं। जिनकी पूजा विभिन्न विधि-विधान के साथ की जाती है। इन्हीं में एक नागराज वासुकी हैं। वासुकी प्रमुख नागदेवता हैं और नागों के राजा शेषनाग के भाई हैं। उन्हें भगवान शिव के गले में धारण किए जाने के कारण भी जाना जाता है। नागराज वासुकी भगवान शिव और भगवान विष्णु के बेहद प्रिय हैं। इसलिए अगर आप दोनों देवता को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो नागदेवता की पूजा करने से लाभ हो सकता है। इतना ही नहीं अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है, तो नागराज की पूजा-अर्चना करने से शुभ परिणाम मिल सकते हैं। साथ ही धन-धान्य में भी वृद्धि हो सकती है। अब ऐसे में अगर आप नाग देवता वासुकी की पूजा कर रहे हैं, तो किस विधि से करनी चाहिए। पूजा सामग्री क्या है और वासुकी देवता की पूजा का महत्व क्या है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
नाग देवता की मूर्ति
नागराज वासुकी हिंदू धर्म में सर्प देवताओं में से एक हैं और भगवान शिव के परम भक्त माने जाते हैं। समुद्र मंथन के समय उन्होंने मंदराचल पर्वत को लपेटकर देवताओं और दानवों की सहायता की थी। उनकी पूजा करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो सकता है। वासुकी की पूजा करने से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है। नाग देवता रोगों से रक्षा करते हैं। इसलिए नाग देवता की पूजा विधिवत रूप से करें। वासुकी की पूजा से दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्राप्त होता है। नाग देवता शत्रुओं का नाश करते हैं। नाग देवता की पूजा करने के लिए आप किसी मंदिर में जा सकते हैं या घर पर भी पूजा कर सकते हैं।
नाग देवता की पूजा श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन की जाती है, लेकिन किसी भी माह में सोमवार के दिन नाग देवता की पूजा करने से उत्तम परिणाम मिल सकते हैं।
यशोमती नन्दन बृजबर नागर,
गोकुल रंजन कान्हा,
वैकुंठ एकादशी 10 से 19 जनवरी 2025 तक मनाई जाएगी। वैकुंठ एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा बहुत ही शुभ और फलदायी मानी जाती है।
वैकुंठ एकादशी 10 से 19 जनवरी 2025 तक मनाई जाएगी, इस दौरान लाखों लोग तिरुमाला श्री वेंकटेश्वर मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं।
यशोदा माँ के होयो लाल,
बधाई सारे भक्ता ने,