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हरिहर की पूजा कैसे करें?

हरिहर की पूजा कैसे करें?

इस विधि से करें हरि और हर की पूजा, मिलेगा भगवान विष्णु और शिव का आशीर्वाद 


सनातन धर्म में हरिहर में हरि से आश्य है भगवान विष्णु और हर यानी कि भगवान शिव। दोनों एक दूसरे के आराध्य हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति का भाग्योदय होता है और जातकों को उत्तम परिणाम मिलते हैं। हरिहर को शक्ति और शौर्य का प्रतीक माना जाता है। विष्णु के संरक्षण और शिव के शक्तियों का संयुक्त स्वरूप होने के कारण, हरिहर को अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। 


हरिहर का स्वरूप सृष्टि और विनाश के बीच संतुलन को दर्शाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ, तब विष्णु और शिव ने मिलकर हरिहर का रूप धारण किया था। कुछ अन्य कथाओं में बताया गया है कि हरिहर ने ब्रह्मांड की रक्षा के लिए कई बार अवतार लिया था। अब ऐसे में हरिहर की पूजा किस विधि से करनी चाहिए और इनकी पूजा का महत्व क्या है। इसके बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 



हरिहर की पूजा के लिए सामग्री क्या है? 


हरिहर पूजा, भगवान विष्णु और भगवान शिव की संयुक्त पूजा है। यह एक विशेष और पवित्र अनुष्ठान है। इस पूजा के लिए कुछ आवश्यक सामग्री विस्तार से जान लें। 

  • भगवान विष्णु और शिव की मूर्तियां
  • कलश
  • दीपक
  • धूप
  • फूल
  • फल
  • मिठाई
  • चंदन
  • कुमकुम
  • रोली
  • चावल
  • दूध
  • दही
  • शहद
  • जल
  • नैवेद्य



हरिहर की पूजा कैसे करें? 


  • हरिहर भगवान विष्णु और भगवान शिव के सुख-सौभाग्य के प्रतीक हैं। यह दिव्य रूप दोनों देवताओं के सत्व, रज और तम गुणों का प्रतिनिधित्व करता है। 
  • पूजा शुरू करने से पहले, स्नान करके शरीर को शुद्ध करें और साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को भी साफ-सुथरा रखें।
  • भगवान हरिहर की मूर्ति या चित्र को एक साफ चौकी पर स्थापित करें।
  • भगवान हरिहर को अपने मन में निमंत्रित करें और उनकी पूजा करने का संकल्प लें।
  • मूर्ति को जल, दूध, दही, घी, शहद आदि से स्नान कराएं।
  • मूर्ति पर चंदन का तिलक लगाएं और कुमकुम से सिंदूर लगाएं।
  • हरिहर को कमल के फूल और बेलपत्र को अर्पित करें।
  • हरिहर को धूप और दीप जलाकर पूजा करें। 
  • हरिहर को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • पूजा करने के दौरान हरिहर के मंत्रों का जाप करें। 
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • ॐ नमः शिवाय
  • आखिर में हरिहर की पूजा करने के बाद आरती करें। 
  • आप हरिहर की पूजा किसी भी शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं। सुबह का समय पूजा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।



हरिहर की पूजा का महत्व क्या है?  


हरिहर हिंदू धर्म में भगवान विष्णु हरि और भगवान शिव हर के संयुक्त स्वरूप को कहा जाता है। यह स्वरूप हिंदू धर्म में एकता और सद्भाव का प्रतीक है। हरिहर पूजा में विष्णु और शिव दोनों की उपासना की जाती है। विष्णु पालनकर्ता हैं, जबकि शिव संहारक हैं। 


हरिहर स्वरूप में, दोनों देवता एक साथ विराजमान होते हैं, जो सृष्टि, पालन और संहार के चक्र को दर्शाता है। हरिहर पूजा सकारात्मक और नकारात्मक शक्तियों के बीच संतुलन का प्रतीक है। हरिहर की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती है और व्यक्ति को उत्तम परिणाम भी मिल सकते हैं। 


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छोटी होली कथा

होली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी होली को होलिका दहन के रूप में जाना जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और भक्त प्रह्लाद तथा होलिका की कथा से जुड़ा हुआ है।

मार्च में 7 तारीख के बाद नहींं होंगे मांगलिक कार्य

होलिका दहन से पहले 8 दिन होलाष्टक तिथि लगती है जिसमें कोई मांगलिक कार्य नहीं होता है। पुराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि यह समय भक्त प्रह्लाद पर किए गए अत्याचारों को दर्शाता है।

बरसाने की लट्ठमार होली

बरसाने में हर साल लट्ठमार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाई जाती है। इस साल 2025 में यह त्योहार 8 मार्च को मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ राधारानी से भेंट करने के लिए बरसाना गए, और वहां जाकर राधारानी और उनकी सखियों को छेड़ने लगे।

लट्ठमार होली कैसे खेली जाती है

बरसाने में लट्ठमार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है, जो इस साल 8 मार्च को पड़ रही है। यह त्योहार राधा-कृष्ण के प्रेम की लीलाओं को दर्शाता है।

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