श्री हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, बूढ़े मंगलवार, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाला भजन।
बजरंग के आते आते,
कही भोर हो न जाये रे,
ये राम सोचते हैं,
श्री राम सोचते हैं ।
क्या भोर होते होते,
बजरंग आ सकेंगे,
लक्ष्मण को नया जीवन,
फिर से दिला सकेंगे ।
कही सास की ये डोरी,
कमजोर हो न जाये रे,
ये राम सोचते हैं,
श्री राम सोचते हैं ॥
बजरंग के आते आते...॥
कैसे कहूँगा जा के,
मारा गया है लक्ष्मण,
तज देगी प्राण सुन के,
माता सुमित्रा फ़ौरन ।
कहीं यह कलंक मुझसे,
इक और हो ना जाए रे,
ये राम सोचते हैं,
श्री राम सोचते हैं ॥
बजरंग के आते आते...॥
लक्ष्मण बिना है टूटा,
यह दांया हाथ मेरा,
कुछ सूझता नहीं है,
चारो तरफ अँधेरा ।
लंका में कहीं घर घर,
ये शोर हो ना जाये रे
ये राम सोचते हैं,
श्री राम सोचते हैं ॥
बजरंग के आते आते...॥
वर्ना अटल है शर्मा,
मेरी बात ना टलेगी,
लक्ष्मण के साथ मेरी,
लख्खा चिता जलेगी ।
मैं सोचता तो कुछ हूँ,
कुछ और हो न जाये रे,
ये राम सोचते हैं,
श्री राम सोचते हैं॥
बजरंग के आते आते...॥
बजरंग के आते आते,
कही भोर हो न जाये रे,
ये राम सोचते हैं,
श्री राम सोचते हैं ।
रंग पंचमी हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती है। यह त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। भक्त वत्सल इस लेख के माध्यम से आपको बता रहे हैं कि कैसे इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने पहली बार होली खेली थी।
रंग पंचमी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और यह पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी-देवता धरती पर आकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
रंग पंचमी का पर्व हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने होली खेली थी, और देवी-देवता भी होली खेलने के लिए पृथ्वी पर आए थे।
रंग पंचमी भारत का एक प्रमुख रंगीन त्योहार है, जो होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। इसे भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की होली से जोड़कर देखा जाता है।