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भज राधे गोविंदा रे पगले(Bhaj Radhe Govinda Re Pagle)

भज राधे गोविंदा रे पगले(Bhaj Radhe Govinda Re Pagle)

भज राधे गोविंदा रे पगले,

भज राधे गोविंदा रे,

तन परिंदे को छोड़ कही,

उड़ जाये ना प्राण परिंदा रे,

भज राधें गोविंदा रे पगले,

भज राधे गोविंदा रे ॥


झूठी सारी दुनियादारी,

झूठा तेरा मेरा रे,

आज रुके कल चल देगा,

ये जोगी वाला फेरा रे,

सब साथी है झूठे जगत के,

सच्चा एक गोविंदा रे,

भज राधें गोविंदा रे पगले,

भज राधे गोविंदा रे ॥


इस जीवन में सुख की कलियाँ,

और सभी दुःख के कांटें,

सुख में हर कोई हिस्सा मांगे,

कोई भी ना दुःख बांटे,

भेद भाव को छोड़ दे पगले,

मत कर तू परनिंदा रे,

भज राधें गोविंदा रे पगले,

भज राधे गोविंदा रे ॥


इस चादर को बड़े जतन से,

ओढ़े दास कबीरा रे,

इसे पहन विष पान कर गई,

प्रेम दीवानी मीरा रे,

इस चादर को पाप करम से,

मत कर तू अब गन्दा रे,

भज राधें गोविंदा रे पगले,

भज राधे गोविंदा रे ॥


भज राधे गोविंदा रे पगले,

भज राधे गोविंदा रे,

तन परिंदे को छोड़ कही,

उड़ जाये ना प्राण परिंदा रे,

भज राधें गोविंदा रे पगले,

भज राधे गोविंदा रे ॥

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अक्षय तृतीया मूलांक ज्योतिष

हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता हैI

अक्षय तृतीया पर इन पांच स्थानों पर जलाएं दीपक

अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि स्वयं में ही अबूझ मानी जाती है, अर्थात् इस दिन किसी भी शुभ कार्य को बिना मुहूर्त के किया जा सकता है।

अक्षय तृतीया 2025 कब है

भारत में मनाए जाने वाले त्योहार जीवन को अध्यात्म, आस्था और संस्कारों से जोड़ते हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पर्व है अक्षय तृतीया, जिसे ‘आखा तीज’ भी कहा जाता है।

अक्षय तृतीया के उपाय

अक्षय तृतीया को ‘अखा तीज’ भी कहा जाता है, जो वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल कभी भी समाप्त नहीं होता है। इस साल अक्षय तृतीया 30 अप्रैल, बुधवार को मनाई जाएगी।

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