भजो रे भैया, राम गोविंद हरि: भजन (Bhajo Re Bhaiya Ram Govind Hari)

भजो रे भैया,

राम गोविंद हरि,

राम गोविंद हरि,

भजो रे भईया,

राम गोविंद हरि ॥


जप तप साधन,

कछु नहीं लागत,

खरचत नहिं गठरी,

भजो रे भईया,

राम गोविंद हरि ॥


संतत संपत,

सुख के कारण,

जासे भूल परी,

भजो रे भईया,

राम गोविंद हरि ॥


कहत कबीरा,

जिन मुख राम नहीं,

ता मुख धूल भरी,

भजो रे भईया,

राम गोविंद हरि ॥


भजो रे भैया,

राम गोविंद हरि,

राम गोविंद हरि,

भजो रे भईया,

राम गोविंद हरि ॥

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चैत्र अमावस्या मुहूर्त और तिथि

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र अमावस्य को बहुत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह हिंदू नववर्ष की शुरुआत के एक दिन पहले मनाई जाती है।

ऊँचे पर्वत चढ़कर जो, तेरे मंदिर आते हैं (Unche Parvat Chadhkar Jo Tere Mandir Aate Hain)

ऊँचे पर्वत चढ़कर जो,
तेरे मंदिर आते हैं,

भीष्म पितामह का अंतिम संस्कार

माघ मास में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी कहते हैं। इसे तिल द्वादशी भी कहते हैं। भीष्म द्वादशी को माघ शुक्ल द्वादशी नाम से भी जाना जाता है।

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa)

कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माला अंग। पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग।

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