भजो रे भैया,
राम गोविंद हरि,
राम गोविंद हरि,
भजो रे भईया,
राम गोविंद हरि ॥
जप तप साधन,
कछु नहीं लागत,
खरचत नहिं गठरी,
भजो रे भईया,
राम गोविंद हरि ॥
संतत संपत,
सुख के कारण,
जासे भूल परी,
भजो रे भईया,
राम गोविंद हरि ॥
कहत कबीरा,
जिन मुख राम नहीं,
ता मुख धूल भरी,
भजो रे भईया,
राम गोविंद हरि ॥
भजो रे भैया,
राम गोविंद हरि,
राम गोविंद हरि,
भजो रे भईया,
राम गोविंद हरि ॥
दो अक्षर वाला नाम,
आये बड़ा काम जी,
राम रस बरस्यो री,
आज म्हारे आंगन में ।
राम से बड़ा राम का नाम,
जो सुमिरे भव पार हो जाए,
राम सीता और लखन वन जा रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,