डमरू वाले आजा,
तेरी याद सताए,
मेरा ये भरोसा,
कहीं टूट ना जाए,
छुपा कहाँ आजा भोलेनाथ,
डमरू वालें आजा,
तेरी याद सताए,
मेरा ये भरोसा,
कहीं टूट ना जाए ॥
मन ये पुकारे दिल के सहारे,
नैना हमारे तेरा रस्ता निहारे,
हर पल विचारे,
छुपा कहाँ आजा भोलेनाथ,
डमरू वालें आजा,
तेरी याद सताए,
मेरा ये भरोसा,
कहीं टूट ना जाए ॥
दिल कि ये धड़कन,
गीत तेरे गाये,
रोती है अखियाँ नीर बहाए,
कैसे समझाये,
छुपा कहाँ आजा भोलेनाथ,
डमरू वालें आजा,
तेरी याद सताए,
मेरा ये भरोसा,
कहीं टूट ना जाए ॥
डमरू वाले आजा,
तेरी याद सताए,
मेरा ये भरोसा,
कहीं टूट ना जाए,
छुपा कहाँ आजा भोलेनाथ,
डमरू वालें आजा,
तेरी याद सताए,
मेरा ये भरोसा,
कहीं टूट ना जाए ॥
मुंडन संस्कार के संदर्भ में जून का महीना विशेष महत्व रखता है, खासकर 2025 में। जिस तरह जून की गर्मी जीवन में जोश और ऊर्जा लाती है, उसी तरह इस महीने में किए गए संस्कार से बच्चे को आशीर्वाद और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
यदि आप जून 2025 में कर्णवेध संस्कार या कान छेदन करने का प्लान बना रहे हैं, तो जून महीने में कुल 9 शुभ मुहूर्त हैं। इन शुभ मुहूर्तों को ध्यान में रखकर आपका संस्कार सफल और शुभ होगा।
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक अत्यंत पवित्र और आवश्यक संस्कार है। यह संस्कार बालक के जीवन में धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान की शुरुआत का प्रतीक होता है।
हिंदू धर्म में सोलह संस्कारों को जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव की आध्यात्मिक नींव माना गया है। इनमें से एक है अन्नप्राशन संस्कार, जो शिशु को पहली बार अन्न (ठोस भोजन) देने का विशेष अवसर होता है।