हमने ब्रज के ग्वाले से,
अपना दिल लगाया है,
नींद भी गवाई है,
चैन भी गवाया है,
हमनें ब्रज के ग्वाले से,
अपना दिल लगाया है ॥
दिल मेरा बेकाबू,
हो जाता है उस पर,
देखता है मेरी तरफ,
और मुस्कुराता है,
हमनें ब्रज के ग्वाले से,
अपना दिल लगाया है ॥
कई बार चाहा उसे,
हाले दिल सुनाऊ मैं,
होंठ मेरे खुल ना सके,
सामने जो आया है,
हमनें ब्रज के ग्वाले से,
अपना दिल लगाया है ॥
सब ये समझते है,
वो बांसुरी बजाता है,
पर उसने इशारों से,
हमको बुलाया है,
हमनें ब्रज के ग्वाले से,
अपना दिल लगाया है ॥
हमने ब्रज के ग्वाले से,
अपना दिल लगाया है,
नींद भी गवाई है,
चैन भी गवाया है,
हमनें ब्रज के ग्वाले से,
अपना दिल लगाया है ॥
मैं तो झूम झूम नाचूं रे आज,
आज मैया घर आयी है,
मैं तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
मैं भी बोलूं राम तुम भी बोलो ना, राम है अनमोल मुख को खोलो ना ॥
मैं भोला पर्वत का
रै तू राणी महला की