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झूम उठा दिल देख नजारा, उस सालासर धाम का(Jhoom Utha Dil Dekho Nazara Us Salasar Dham Ka)

झूम उठा दिल देख नजारा, उस सालासर धाम का(Jhoom Utha Dil Dekho Nazara Us Salasar Dham Ka)
झूम उठा दिल देख नजारा,
उस सालासर धाम का,
झंडा श्री राम का,
डंका हनुमान का,
झंडा श्री राम का,
डंका हनुमान का ॥


मंदिर आलिशान है,
मंदिर में हनुमान है,
शीश झुकाकर भक्त सभी,
कहते जय श्री राम है,
आ गए आंसू देख के ऐसा,
आ गए आंसू देख के ऐसा,
रिश्ता भक्त भगवान का,
झंडा श्री राम का,
डंका हनुमान का ॥


मुख से जय श्री राम कहो,
हनुमान खुश होते है,
जय जय जय हनुमान कहो,
श्री राम खुश होते है,
हनुमान सा भक्त नहीं है,
हनुमान सा भक्त नहीं है,
कहना वेद पुराण का,
झंडा श्री राम का,
डंका हनुमान का ॥


दुनिया वालो राम की,
भक्ति में सब झूमो ना,
सच्चे इस दरबार में,
चरणों को तुम चूमो ना,
आ गए आंसू देख के ऐसा,
आ गए आंसू देख के ऐसा,
रिश्ता भक्त भगवान का,
झंडा श्री राम का,
डंका हनुमान का ॥


झूम उठा दिल देख नजारा,
उस सालासर धाम का,
झंडा श्री राम का,
डंका हनुमान का,
झंडा श्री राम का,
डंका हनुमान का ॥
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छठ पूूजा से पहले जानिए व्रत के नियम

36 घंटे के उपवास के रूप में चलने वाला छठ पूजा का व्रत सबसे जटिल व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत खासतौर पर सूर्य देव और छठी मैया की उपासना और आराधना के लिए किया जाता है।

नहाय खाय: छठ पूजा का पहला दिन

छठ पूजा भारत के कुछ राज्यों, विशेष तौर पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है।

खरना : छठ पूजा का दूसरा दिन

छठ पर्व का दूसरा दिन खरना होता है, खरना का मतलब है शुद्धिकरण। जो व्यक्ति छठ का व्रत करता है उसे इस पर्व के पहले दिन यानी नहाय-खाय वाले दिन पूरा दिन उपवास रखना होता है।

संध्या अर्घ्य : छठ पूजा का तीसरा दिन

छठ महापर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य के लिए जाना जाता है। इसमें व्रती महिलाएं पवित्र नदी में या किसी कुंड में डुबकी लगाती हैं और सूर्य और छठी मैया की पूजा करती है।

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