कभी-कभी भगवान को भी भक्तो (Kabhi Kabhi Bhagwan Ko Bhi Bhakto Se Kam Pade)

प्रभु केवट की नाव चढ़े

कभी कभी भगवान को भी भक्तो से काम पड़े ।

जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े ॥


अवध छोड़ प्रभु वन को धाये,

सिया-राम लखन गंगा तट आये ।

केवट मन ही मन हर्षाये,

घर बैठे प्रभु दर्शन पाए ।

हाथ जोड़ कर प्रभु के आगे केवट मगन खड़े ।

जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चड़े ॥


प्रभु बोले तुम नाव चलाओ,

पार हमे केवट पहुचाओ ।

केवट बोला सुनो हमारी,

चरण धुल की माया भारी ।

मैं गरीब नैया है मेरी नारी ना होए पड़े ।

जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चड़े ॥


चली नाव गंगा की धारा,

सिया राम लखन को पार उतारा ।

प्रभु देने लगे नाव चढाई,

केवट कहे नहीं रघुराई ।

पार किया मैंने तुमको,

अब मोहे पार करो ।

जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े ॥


केवट दौड़ के जल भर ले आया,

चरण धोय चरणामृत पाया ।

वेद ग्रन्थ जिन के गुण गाये,

केवट उनको नाव चढ़ाए ।

बरसे फूल गगन से ऐसे,

भक्त के भाग्य जगे।

जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े ॥

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चल चला चल ओ भगता (Chal Chala Chal O Bhagta)

चल चला चल ओ भगता,
चल चला चल ॥

चैत्र और शारदीय नवरात्रि में अंतर

सनातन परंपरा में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र के महीने में, जिससे हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। दूसरा, आश्विन माह में आता है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं।

विवाह पंचमी कब है

विवाह पंचमी एक विशेष हिंदू पर्व है, जो भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह के अवसर पर मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से रामभक्तों के लिए महत्वपूर्ण है।

आरती श्री वैष्णो देवी मां की (Aarti of Shri Vaishno Devi Maa Ki)

जय वैष्णवी माता,मैया जय वैष्णवी माता।
हाथ जोड़ तेरे आगे,आरती मैं गाता॥

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