मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
एक ईश्वर की खातिर,
लाखो मंदिर अच्छे-अच्छे,
कड़ी धुप में छाया खातिर,
बिलख रहे है बच्चे,
उसके अंदर बोल रहे प्रभु,
उसको तो पहचान ॥
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
पत्थर पे हो नाम हमारा,
करे दिखावा दान,
दरिद्र बन के जांच रहा है,
नारायण भगवान,
लेके कटोरा हाथ फैलाये,
उधर करो कुछ ध्यान ॥
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
फणी है ईश्वर,
अंदर आकर बैठा प्राण,
बाहर तू गंगाजल चढ़ावे,
अंदर मदिरा-पान,
रोज हो रहा तेरे हाथों,
ईश्वर का अपमान ॥
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
राम नवमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण और विशेष पर्व है। यह पर्व हर वर्ष चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
राम नवमी हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो विशेष रूप से भगवान श्री राम की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
हिन्दू धर्म का रामायण और रामचरितमानस दो प्रमुख ग्रंथ है। आपको बता दें कि आदिकवि वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की है तो वहीं तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की है।
हिन्दू धर्म में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला राम नवमी पर्व एक प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार को हिन्दू धर्म के लोग प्रभु श्रीराम की जयंती के रूप में मनाते हैं।