Logo

कण-कण में है राम समाया, जान सके तो जान (Kan Kan Me Hai Ram Samaya Jan Sake Too Jan)

कण-कण में है राम समाया, जान सके तो जान (Kan Kan Me Hai Ram Samaya Jan Sake Too Jan)

मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,

ढूंढ रहा भगवान,

कण-कण में है राम समाया,

जान सके तो जान,

कण-कण में है राम समाया,

जान सके तो जान ॥


मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,

ढूंढ रहा भगवान,

कण-कण में है राम समाया,

जान सके तो जान,

कण-कण में है राम समाया,

जान सके तो जान ॥


एक ईश्वर की खातिर,

लाखो मंदिर अच्छे-अच्छे,

कड़ी धुप में छाया खातिर,

बिलख रहे है बच्चे,

उसके अंदर बोल रहे प्रभु,

उसको तो पहचान ॥


मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,

ढूंढ रहा भगवान,

कण-कण में है राम समाया,

जान सके तो जान,

कण-कण में है राम समाया,

जान सके तो जान ॥


पत्थर पे हो नाम हमारा,

करे दिखावा दान,

दरिद्र बन के जांच रहा है,

नारायण भगवान,

लेके कटोरा हाथ फैलाये,

उधर करो कुछ ध्यान ॥


मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,

ढूंढ रहा भगवान,

कण-कण में है राम समाया,

जान सके तो जान,

कण-कण में है राम समाया,

जान सके तो जान ॥


फणी है ईश्वर,

अंदर आकर बैठा प्राण,

बाहर तू गंगाजल चढ़ावे,

अंदर मदिरा-पान,

रोज हो रहा तेरे हाथों,

ईश्वर का अपमान ॥


मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,

ढूंढ रहा भगवान,

कण-कण में है राम समाया,

जान सके तो जान,

कण-कण में है राम समाया,

जान सके तो जान ॥

........................................................................................................
मंदिर में प्रवेश से पहले पैर धोना क्यों आवश्यक है?

मंदिर में प्रवेश के मुख्य नियमों में से एक है, प्रवेश से पहले पैरों को धोना। माना जाता है कि चाहे हम तन और मन से कितने ही शुद्ध क्यों न हों, मंदिर में प्रवेश से पूर्व हाथों के साथ-साथ पैरों को धोना अत्यंत आवश्यक होता है।

भोग लगाने के बाद ही भोजन क्यों किया जाता है?

हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना करने के दौरान देवी-देवताओं को भोग लगाने का विशेष महत्व है। बिना भगवान को भोग लगाए पूजा अधूरी मानी जाती है।

घर में मंदिर कहां होना चाहिए?

घर का मंदिर एक पवित्र स्थान है जहां हम अपने आराध्य देवों की पूजा करते हैं। यह न केवल हमारी भक्ति के केंद्र है, बल्कि आस्था का मार्ग भी दिखाता है।

शिव जी को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?

हिंदू धर्म में भगवान शिव को दया और करुणा का सागर माना जाता है। महादेव का स्वभाव बेहद भोला है, इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, उसका कल्याण निश्चित होता है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang