मैया ओढ़ चुनरिया लाल,
के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे ॥
लाल चुनरियाँ चम चम चमके,
रोली को टीको दम दम दमके,
थारे हाथ मेहंदी लाल,
के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे ॥
पगल्या री पायल छम छम छमके,
हाथां रो चुड़लो खन खन खनके,
थारे गल हीरा को हार,
के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे ॥
खोल खजानो बैठी मेरी मईया,
जो चाहे सो मांग लो भईया,
म्हारी मईया लखदातार,
के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे ॥
मैया ओढ़ चुनरिया लाल,
के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे ॥
वशिष्ठ ऋषि वैदिक काल के विख्यात ऋषि थे। वे उन सात ऋषियों (सप्तर्षि) में से एक हैं जिन्हें ईश्वर द्वारा सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ था और जिन्होंने वेदों में निहित ज्ञान को मानव तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए थे।
विश्वामित्र प्रसिद्ध सप्तऋषियों और महान ऋषियों में से एक हैं। विश्वामित्र एक ऋग्वैदिक ऋषि हैं जो ऋग्वेद के मंडल ३ के मुख्य लेखक थे।
हिंदू धर्म के अनुसार, प्रारंभिक काल में ब्रह्मा जी ने समुद्र और धरती पर हर प्रकार के जीवों की उत्पत्ति की।
सप्तऋषियों में भारद्वाज ऋषि को सबसे सर्वोच्च स्थान मिला हुआ है। ऋषि भारद्वाज ने आयुर्वेद सहित कई ग्रंथों की रचना की थी।