अजी मत बरसो इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे,
या जग सेठाणी भीजे,
म्हारी राज राणी भीजे,
अजी मत बरसों इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे ॥
गुम्बज पर मेवा बरसे,
मंदिर पर मेवा बरसे,
अजी पौढ़ी पर अमृत धार,
मोटी सेठाणी भीजे,
अजी मत बरसों इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे ॥
सावन की रुत मतवाली,
झूले में झूंझण वाली,
अरे सह पावे ना बौछार,
या जग सेठाणी भीजे,
अजी मत बरसों इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे ॥
झूंझण से खबरिया आई,
सब चलो लोग लुगाई,
ले चलो छतर हजार,
या जग सेठाणी भीजे,
अजी मत बरसों इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे ॥
पानी के मैया बहाने,
इन्दर आयो दर्शन पाने,
जया मेरो धन्य हुयो परिवार,
दादी चरणा ने छूके,
अजी मत बरसों इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे ॥
अजी मत बरसो इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे,
या जग सेठाणी भीजे,
म्हारी राज राणी भीजे,
अजी मत बरसो इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे ॥
वृश्चिक संक्रांति पौराणिक कथाओं के अनुसार एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योंहार है। यह हिंदू संस्कृति में सौर दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान सूर्य जी की पूजा के लिए विशेष माना होता है। वृश्चिक संक्रांति के समय सूर्य उपासना के साथ ही मंगल ग्रह शांति एवं पूजा करने से मंगल ग्रह की कृपा होती है।
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है मासानां मार्गशीर्षोऽहम् यानी महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं। इस माह को धार्मिक ग्रंथों में पवित्र और फलदायी बताया गया है।
धार्मिक मान्यता है मार्ग शीर्ष का माह भगवान श्री कृष्ण को अधिक प्रिय माना जाता है। यही वजह है कि इस दौरान तामसिक भोजन ना करने की सलाह भी धार्मिक ग्रंथो में दी जाती है।
कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माला अंग। पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग।