मेरा छोड़ दे दुपट्टा नन्दलाल,
सवेरे दही लेके आउंगी,
सवेरे दही लेके आउंगी,
सवेरे दही लेके आउंगी,
मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,
सवेरे दही लेके आउंगी ॥
ना माने तो मेरी चुनर रखले,
ना माने तो मेरी चुनर रखले,
या में सितारे जड़े है हज़ार,
सवेरे दही लेके आउंगी,
मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,
सवेरे दही लेके आउंगी ॥
ना माने तो मेरा हरवा रखले,
ना माने तो मेरा हरवा रखले,
या में हीरे जड़े है हज़ार,
सवेरे दही लेके आउंगी,
मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,
सवेरे दही लेके आउंगी ॥
ना माने तो मेरे कंगन रखले,
ना माने तो मेरे कंगन रखले,
या में मोती जड़े है हज़ार,
सवेरे दही लेके आउंगी,
मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,
सवेरे दही लेके आउंगी ॥
ना माने तो मेरे दिल को रखले,
ना माने तो मेरे दिल को रखले,
या में बैठे बिहारी लाल,
सवेरे दही लेके आउंगी,
मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,
सवेरे दही लेके आउंगी ॥
मेरा छोड़ दे दुपट्टा नन्दलाल,
सवेरे दही लेके आउंगी,
सवेरे दही लेके आउंगी,
सवेरे दही लेके आउंगी,
मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,
सवेरे दही लेके आउंगी ॥
जया एकादशी का उपवास हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की पूजा आराधना करने की मान्यता है।
जया एकादशी के दिन आपको मां लक्ष्मी के इन नामों का जाप जरूर करना चाहिए। इस दिन विधिवत रूप से श्री हरि और मां लक्ष्मी की पूजा और उपासना की जाती है।
माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिवत रूप से करने से व्यक्ति को उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है।
थाईपुसम त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर प्रकाश की जीत और अज्ञानता पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। भक्तजन जीवन की बाधाओं को पार करने के लिए मार्गदर्शन पाने के लिए मुरुगन से प्रार्थना करते हैं।