मेरा छोड़ दे दुपट्टा नन्दलाल - भजन (Mera Chhod De Dupatta Nandlal)

मेरा छोड़ दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी,

सवेरे दही लेके आउंगी,

सवेरे दही लेके आउंगी,

मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी ॥


ना माने तो मेरी चुनर रखले,

ना माने तो मेरी चुनर रखले,

या में सितारे जड़े है हज़ार,

सवेरे दही लेके आउंगी,

मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी ॥


ना माने तो मेरा हरवा रखले,

ना माने तो मेरा हरवा रखले,

या में हीरे जड़े है हज़ार,

सवेरे दही लेके आउंगी,

मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी ॥


ना माने तो मेरे कंगन रखले,

ना माने तो मेरे कंगन रखले,

या में मोती जड़े है हज़ार,

सवेरे दही लेके आउंगी,

मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी ॥


ना माने तो मेरे दिल को रखले,

ना माने तो मेरे दिल को रखले,

या में बैठे बिहारी लाल,

सवेरे दही लेके आउंगी,

मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी ॥


मेरा छोड़ दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी,

सवेरे दही लेके आउंगी,

सवेरे दही लेके आउंगी,

मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी ॥


........................................................................................................
नामवली: रामायण मनका 108(Namavali: Ramayan Manka 108)

रघुपति राघव राजाराम ।
पतितपावन सीताराम ॥

रामचंद्र कह गये सिया से (Ramchandra Keh Gaye Siya Se)

रामचंद्र कह गये सिया से,
हे रामचंद्र कह गये सिया से,

पौष पूर्णिमा उपाय

पूर्णिमा तिथि महीने में 1 बार आती है। इस तरह पूरे साल में कुल 12 पूर्णिमा तिथि होती है। इन्हीं पूर्णिमा तिथ्यों में से एक है पौष माह की पूर्णिमा। वैसे तो हर महीने की पूर्णिमा तिथि शुभ होती है, लेकिन इस साल पौष पूर्णिमा खास होने जा रही है।

चैत्र अमावस्या को क्यों कहते हैं भूतड़ी अमावस्या

चैत्र मास की अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह दिन नकारात्मक ऊर्जा, आत्माओं और मृत पूर्वजों से जुड़ा हुआ है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।