मेरा छोटा सा संसार,
हरी आ जाओ एक बार,
हरी आ जाओ, हरी आ जाओ,
मेरी नैया पार लगा जाओ,
मेरी बिगड़ी आ के बना जाओ,
मेरा छोंटा सा संसार,
हरी आ जाओ एक बार ॥
लाखो को दरश दिखाया है,
प्रभु मुझको क्यों तरसाया है,
ये कैसी तुम्हारी माया है,
नित बहती है असुवन धार,
नित बहती है असुवन धार,
हरी आ जाओ एक बार,
मेरा छोंटा सा संसार,
हरी आ जाओ एक बार ॥
जब याद तुम्हारी आती है,
तन मन की सुध बिसराती है,
रह रह के मुझे तड़पाती है,
तन मन धन दूँ सब वार,
तन मन धन दूँ सब वार,
हरी आ जाओ एक बार,
मेरा छोंटा सा संसार,
हरी आ जाओ एक बार ॥
मुझको बिछड़े युग बीत गए,
क्यों रूठ प्रभु मेरे मीत गए,
मैं हार गया तुम जीत गए,
अब दर्शन दो साकार,
अब दर्शन दो साकार,
हरी आ जाओ एक बार,
मेरा छोंटा सा संसार,
हरी आ जाओ एक बार ॥
मेरा छोटा सा संसार,
हरी आ जाओ एक बार,
हरी आ जाओ, हरी आ जाओ,
मेरी नैया पार लगा जाओ,
मेरी बिगड़ी आ के बना जाओ,
मेरा छोंटा सा संसार,
हरी आ जाओ एक बार ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥
जनक जननि पद कमल रज, निज मस्तक पर धारि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं