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हे उतर रही हे उतर रही
मेरे राम की सवारी हो
स्वागत करता स्वयं मेरे
भोले भंडारी हो
हे उतर रही हे उतर रही
मेरे राम की सवारी हो
स्वागत करता स्वयं मेरे
भोले भंडारी हो
सोने की नगरी रत्नों की धरती
चमक न्यारी हो
स्वागत करता स्वयं मेरे
भोले भंडारी हो
एक ही नाम का
एक ही काम का
चहूं ओर घन घोर
जय घोष श्री राम का
बदल रहा युग बदल रहा हेरी
बदल रहा युग बदल रहा
देवों ने आरती उतारी हो
स्वागत करता स्वयं मेरे
भोले भंडारी हो
स्वागत करता स्वयं मेरे
भोले भंडारी हो
हमरे भी द्वारे
तुम्हरे भी द्वारे
आंगन आंगन घर घर
राम जी पधारे
झूमे नभ जल थल
तीनों लोकों में हल चल
मच रही भारी हो
स्वागत करता स्वयं मेरे
भोले भंडारी हो
हे उतर रही हे उतर रही
मेरे राम की सवारी हो
स्वागत करता स्वयं मेरे
भोले भंडारी हो
सोने की नगरी रत्नों की धरती
चमक न्यारी हो
स्वागत करता स्वयं मेरे
भोले भंडारी हो
स्वागत करता स्वयं मेरे
भोले भंडारी हो
स्वागत करता स्वयं मेरे
भोले भंडारी हो
भोले भंडारी हो
........................................................................................................'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।