मुझे तूने मालिक,
बहुत कुछ दिया है ।
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है ।
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है ।
मुझे तूने मालिक,
बहुत कुछ दिया है ।
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है ।
ना मिलती अगर,
दी हुई दात तेरी ।
तो क्या थी ज़माने में,
औकात मेरी ।
ये बंदा तो तेरे,
सहारे जिया है ।
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है ।
॥ मुझे तूने मालिक...॥
ये जायदाद दी है,
ये औलाद दी है ।
मुसीबत में हर वक़्त,
मदद की है ।
तेरे ही दिया मैंने,
खाया पिया है ।
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है ।
॥ मुझे तूने मालिक...॥
मेरा ही नहीं तू,
सभी का है दाता ।
सभी को सभी कुछ,
है देता दिलाता ।
जो खाली था दामन,
तूने भर दिया है ।
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है ।
॥ मुझे तूने मालिक...॥
तेरी बंदगी से,
मै बंदा हूँ मालिक ।
तेरे ही करम से,
मै जिन्दा हूँ मालिक ।
तुम्ही ने तो जीने के,
काबिल किया है ।
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है ।
॥ मुझे तूने मालिक...॥
मेरा भूल जाना,
तेरा ना भुलाना ।
तेरी रहमतो का,
कहाँ है ठिकाना ।
तेरी इस मोहब्बत ने,
पागल किया है ।
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है ।
॥ मुझे तूने मालिक...॥
मुझे तूने मालिक,
बहुत कुछ दिया है ।
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है ।
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है ।
सीताराम राम राम,
सीताराम राम राम
सीताराम राम राम,
सीताराम राम राम
सीताराम राम राम,
सीताराम राम राम
सीताराम राम राम,
सीताराम राम राम
सालों पहले नल नामक एक राजा राज किया करते थे। उनकी पत्नी का नाम दमयंती था। दोनों अपने दो बेटों के साथ सुखी जीवन जी रहे थे।
प्राचीनकाल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए पुत्र को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी।
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