मासिक कार्तिगाई का हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस पर्व पर भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। यह कार्तिगाई या कृत्तिका नक्षत्र में पड़ता है। इस दिन “श्री सुब्रह्मण्य कवच स्तोत्र” का पाठ भगवान कार्तिकेय की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। ऐसा करने से घर में सुख शांति और समृद्धि की वृद्धि होती है।
इस वर्ष मासिक कार्तिगाई 1 अप्रैल को मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 1 अप्रैल को सिद्धि योग बन रहा है, जो एक विशेष योग है। इसलिए इस दिन किए जाने वाले सभी कार्य सिद्ध होंगे। साथ ही, इस दिन पूजा अर्चना करने से फलदायक आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
मासिक कार्तिगाई तमिलनाडु में धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही, इस पर्व पर भगवान कार्तिकेय की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए तमिलनाडु के लोग इसे बहुत महत्वपूर्ण समय मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से आपके जीवन से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और सकारात्मकता का संचार होता है।
मासिक कार्तिगाई को आत्मज्ञान और प्रकाश का त्योहार भी कहा जाता है, जिसमें भक्त अपने घरों और मंदिरों में दीया जलाते हैं। इस दिन सुब्रह्मण्य स्वामी मंदिर के दर्शन का विशेष महत्व है, जो कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में स्थित है। इस मंदिर में भगवान कार्तिकेय को सुब्रह्मण्य के रूप में पूजा जाता है, जिन्हे सभी नागों के देवता भी मानते हैं।
अप्रैल महीने में आने वाली मासिक कार्तिगाई पर सिद्धि योग बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व है और भी बढ़ जाता है। इसलिए दिन विधिवत रूप से पूजा करके आप अपने कार्यों की सिद्धि कर सकते हैं तथा मनचाहा आशीर्वाद भी प्राप्त कर सकते हैं।
भगवान हनुमान की पूजा में सिंदूर चढ़ाने का विशेष महत्व है। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की आराधना में सिंदूर का प्रयोग अनिवार्य माना गया है। हनुमान जी की अधिकांश प्रतिमाओं में उन्हें केसरिया रंग के सिंदूर लगाया हुआ देखा जाता है।
शिवपुराण में कहा गया है कि भगवान शिव स्वयं जल के रूप में विद्यमान हैं। जल को जीवन का आधार माना गया है और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से इसका महत्व समझा जा सकता है।
जब भी कुंभ मेले का उल्लेख होता है कल्पवास का नाम अनिवार्य रूप से लिया जाता है। कल्पवास एक आध्यात्मिक साधना और वैदिक परंपरा है जो प्राचीन भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों से जुड़ी हुई है।
शाही स्नान सनातन धर्म में एक अत्यंत पवित्र और विशेष स्नान माना जाता है। यह कुंभ और महाकुंभ मेले का मुख्य आकर्षण होता है। इस स्नान को धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यधिक महत्व दिया गया है।