सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे नैन तिरछे,
दूसरा काजल लगा ।
तीसरा नज़रें मिलाना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे होंठ पतले,
दूसरा लाली लगी ।
तीसरा तेरा मुस्कुराना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे हाथ कोमल,
दूसरा मेहँदी लगी ।
तीसरा मुरली बजाना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे पाँव नाज़ुक,
दूसरा पायल बंधी ।
तीसरा घुंगरू बजाना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे भोग छप्पन,
दूसरा माखन धरा ।
तीसरा खिचडे का खाना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे साथ राधा,
दूसरा रुक्मण खड़ी ।
तीसरा मीरा का आना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तुम देवता हो,
दूसरा प्रियतम मेरे ।
तीसरा सपनों में आना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्मणों की सहायता करता था।
एक नगरमें एक बुढ़ियाके सात पुत्र थे, सातौके विवाह होगए, सुन्दर स्त्री घर में सम्पन्न थीं। बड़े बः पुत्र धंधा करते थे बोटा निठल्ला कुछ नहीं करता था और इस ध्यान में मग्न रहता था कि में बिना किए का खाता हूं।
एक समय समस्त प्राणियों का हित चाहने वाले मुनियों ने नैमिषारण्य बन में एक सभा की उस समय व्यास जी के शिष्य सूत जी शिष्यों के साथ श्रीहरि का स्मरण करते हुए वहाँ पर आये।
रविवार व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक बुढ़िया रहती थी। वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती।