तुम्हे दिल में बसाया,
तुम्हे अपना बनाया,
तूने जीना सिखाया भोलेनाथ जी,
तूने जीना सिखाया भोलेंनाथ जी ॥
गाड़ी दिलवाई तूने घर बनवाया,
मैंने उस घर में तेरा मंदिर बनाया,
मन के मंदिर में मैंने तुमको बिठाया,
तुम्हे दिल में बसाया,
तुम्हे अपना बनाया,
तूने जीना सिखाया भोलेंनाथ जी,
तूने जीना सिखाया भोलेंनाथ जी ॥
तेरे ही नाम का तिलक लगाऊं,
तिलक लगाऊं तेरी भक्ति बढ़ाऊं,
शिव शिव रट तेरी अलख जगाऊँ,
तुम्हे दिल में बसाया,
तुम्हे अपना बनाया,
तूने जीना सिखाया भोलेंनाथ जी,
तूने जीना सिखाया भोलेंनाथ जी ॥
यहाँ हर गली में बसता शिवा है,
बच्चा हो बूढ़ा हो सब भजता शिवा है,
डम डम डमरू बजायो रे भोलेबाबा,
तुम्हे दिल में बसाया,
तुम्हे अपना बनाया,
तूने जीना सिखाया भोलेंनाथ जी,
तूने जीना सिखाया भोलेंनाथ जी ॥
तुम्हे दिल में बसाया,
तुम्हे अपना बनाया,
तूने जीना सिखाया भोलेनाथ जी,
तूने जीना सिखाया भोलेंनाथ जी ॥
परशुराम जयंती सनातन धर्म के एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
सनातन धर्म के परंपरा में अन्वाधान और इष्टि जैसे पर्व का विशेष महत्व है। ये दोनों वैष्णव संप्रदाय से जुड़े श्रद्धालुओं के अनुष्ठान हैं जो विशेष रूप से अमावस्या, पूर्णिमा और शुभ मुहूर्तों पर किए जाते हैं।
भगवान परशुराम, जिन्हें भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजा जाता है, वह पौराणिक कथाओं में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और अत्यधिक चर्चित व्यक्ति हैं।
हिंदू धर्म में चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है। अमावस्या के बाद जब पहली बार आकाश में चंद्रमा दिखाई देता है, उसी दिन को चंद्र दर्शन कहा जाता है।