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इस्कॉन मंदिर, नेहरू प्लेस (Iskcon Temple, Nehru Place)

इस्कॉन मंदिर, नेहरू प्लेस (Iskcon Temple, Nehru Place)

दिल्ली के सबसे सुंदरों मंदिरों में से एक है नेहरू प्लेस पर स्थित इस्कॉन मंदिर, पूर्व प्रधानमंत्री ने किया था उद्गाघटन 



भगवान कृष्ण और राधा रानी का प्रसिद्ध वैष्णव मंदिर श्री श्री राधा पार्थसारथी मंदिर को इस्कॉन मंदिर, दिल्ली के रूप में देश दुनिया में ख्याति प्राप्त हैं। राधा पार्थसारथी का यह मंदिर 1998 से भक्तों की आस्था का केंद्र है और नई दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख इस्कॉन टेम्पल में शामिल हैं। यह दिल्ली में पहला इस्कॉन मंदिर भी है। इस मंदिर का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा किया गया था। यह पूरे देश में सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से भी एक है। श्री श्री राधा पार्थसारथी मंदिर ईस्ट ऑफ कैलाश इलाके में स्थित है जो लोटस टेम्पल और कालकाजी मंदिर के निकट है। जन्माष्टमी पर यहां का उत्सव अद्वितीय होता है। दिल्ली में पर्यटन और मंदिरों के दर्शन करने के दौरान यहां जरूर जाना चाहिए।


इस्कॉन मंदिर दिल्ली का इतिहास


दिल्ली में इस्कॉन मंदिर 5 अप्रैल 1998 को खुला। इसका डिजाइन और निर्माण 1974 में पद्म श्री की उपाधि प्राप्त श्री अच्युत पुरुषोत्तम कानविंदे ने किया था। मंदिर का निर्माण हिंदुजा फाउंडेशन के सहयोग से दिल्ली और शेष भारत की वित्तीय सहायता से किया गया था। उस दौरान इस परियोजना का कुल बजट 12 करोड़ रुपए था।


मंदिर की वास्तुकला 


यह बहुत ही सुंदर और आकर्षक वास्तुकला का जीवंत उदाहरण है। तकरीबन 90 मीटर ऊंचा शिखर इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है। इस्कॉन मंदिर की वास्तुकला में हिंदू मंदिरों की झलक मिलती है। इस्कॉन मंदिर मुख्य रूप से हिंदू मंदिर शैली में बना हुआ है। कृष्ण पहाड़ियों के ऊपर स्थित इस मंदिर की मीनारें जालीदार दीवारों वाली हैं। मंदिर के निर्माण में संगमरमर, लकड़ी और नक्काशीदार पत्थर का बड़ी खूबसूरती से उपयोग किया गया है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार मंदिर के निर्माण में 880 टन स्टील, 5,500 टन सीमेंट, 25,000 वर्ग फीट संगमरमर, 75,000 वर्ग फीट पत्थर, 260,000 घन फीट पत्थर के टुकड़े और 2,000 घन फीट लकड़ी लगी थी। जिसे 250 श्रमिकों ने दिन रात की मेहनत से इस सुंदर मंदिर के रूप में ढाला है।
मंदिर के अंदर की दीवारों को रूसी कलाकारों ने अपनी कला से सजाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 फरवरी, 2019 को इस मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी भगवद गीता को रखा जो मंदिर का एक और आकर्षण है। इस गीता का वजन 800 किलोग्राम है और इसमें कुल 670 पन्ने हैं। इसे बनाने में डेढ़ करोड़ रूपए लगे थे।


यह मंदिर लगभग 3 एकड़ में फैला हुआ है। मंदिर में भगवान श्री कृष्ण, राधा जी सहित अन्य देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित है। जिनमें राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की प्रतिमाएं भी शामिल हैं।


मंदिर में होती है दिव्य आरती 


इस्कॉन मंदिर में रोज पूजा-अर्चना के साथ 6 आरती होती हैं। इसमें मंगला आरती, राजभोग आरती, संध्या आरती, शयन आरती खास हैं। सुबह 4:30 बजे मंगला आरती, शाम 7 बजे संध्या आरती और रात 8:30 बजे शयन आरती होती है। 


मंदिर में रोजाना आरती के दौरान अद्भुत माहौल रहता है। लोग एक स्वर में हरे कृष्णा महामंत्र का जाप करते हैं, हुए भक्तिमय होकर झुमने लगते है।  जन्माष्टमी, रामनवमी, गौरी पूर्णिमा और राधाष्टमी के दिनों में यहां भक्तों की अपार भीड़ जमा होती है।


आरती के बाद लाइट एंड साउंड शो यहां का मुख्य आकर्षण है जिसमें महाभारत, गीता और रामायण की कथाओं को बड़े ही अद्भुत तरीके से विद्युत सज्जा के द्वारा दर्शाया जाता है। यह एक रोमांचकारी अनुभव है।
 

यह भी खास है 


  • रामायण आर्ट गैलरी में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से इस्कॉन सदस्यों द्वारा बनाए गए तेल चित्रों के संग्रह को प्रदर्शित किया गया है। 
  • भगवान श्री कृष्ण के बचपन को दर्शाने के लिए यहां कृष्ण जयंती पार्क बनाया गया है जिसमें भगवान गोकुल में ग्वाल- ग्वालिनों के साथ लीला करते हुए दर्शाए गए हैं 
  • दुनिया भर से आने वाले भक्तों के लिए यहां का आश्रम एक आवासीय परिसर है।
  • इसके अलावा इटली में छपी दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक पुस्तक 'अस्टाउंडिंग भगवद गीता' भी यहां मौजूद हैं। इस पुस्तक का लोकार्पण 26 फरवरी 2019 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। 
  • इस्कॉन क्या है?
  • इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस का संक्षिप्त नाम इस्कॉन है। यह आध्यात्मिक संस्था हिंदू धर्म के गौड़ीय-वैष्णव संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह हिंदू संस्कृति बहुदेव वाद में विश्वास तो करती है, लेकिन मूल रुप से गौड़ीय-वैष्णव के एकेश्वरवादी सिद्धांत को मानती है। इसके अनुयायी मुख्य रूप से कृष्ण की पूजा करते हैं

इस्कॉन ब्रांड की स्थापना जुलाई 1966 में न्यूयॉर्क शहर में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की थी। उन्होंने कृष्ण चेतना आंदोलन का अलख जगाया और बहुत कम समय में ही संस्था ने अपने शुरुआती दशक में ही दुनिया भर में 108 इस्कॉन मंदिर खोल दिए और दुनिया भर में इनके 10,000 से अधिक अनुयायी हो गए।


मंदिर तक कैसे पहुंचें?


दिल्ली का इस्कॉन मंदिर तक पहुंचने के कई रास्ते हैं। हालांकि अंत में आपको पैदल ही चलना होगा क्योंकि यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है।


मेट्रो के जरिए यहां जाना एक बेहतरीन विकल्प है। आप नेहरू प्लेस स्टेशन या कैलाश कॉलोनी स्टेशन तक से कुछ मिनट की पैदल दूरी तय करते हुए यहां पहुंच सकते हैं।


मंदिर के सबसे नज़दीकी बस स्टॉप महालक्ष्मी लेआउट 2 किमी दूर है। जो सभी रेलवे स्टेशनों से भी कनेक्टेड है। हजरत निजामुद्दीन स्टेशन मंदिर से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो यहां से 4.5 किमी की दूरी पर है। 
इसी क्रम में  इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से ग्रेटर कैलाश की ओर जाने वाली आउटर रिंग रोड के जरिए 17 किलोमीटर की दूरी तय कर यहां पहुंचा जा सकता है।


मंदिर की समय सारणी 


हरे कृष्णा हिल, संत नगर, मेन रोड, ईस्ट ऑफ कैलाश, संत नगर, नई दिल्ली स्थित यह मंदिर भक्तों के लिए सुबह 4:30 बजे से शाम 09:00 बजे तक खुला रहता है। जबकि मंदिर का मुख्य हॉल दोपहर 01:00 बजे से शाम 04:00 बजे तक बंद रहता है। यहां दर्शन एकदम निःशुल्क है। 


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