दिल्ली एनसीआर में भगवान शिव के कई मंदिर हैं, जो काफी मशहूर है। इन्हीं में से एक श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर गाजियाबाद के वैशाली में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण कश्मीरी पंडितों द्वारा किया गया है। यहां वैशाली क्षेत्र के सबसे बड़े शिवलिंग के दर्शन होते हैं। यहां भक्तों द्वारा शिवरात्रि, सावन और मासिक शिव तेरस बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहां
हर महीने के पहले रविवार को यज्ञ का आयोजन भी किया जाता है। यहां की कमिटी द्वारा गोपीनाथ आश्रम भी चलाया जाता है। गोपीनाथजी के जन्मदिवस के अवसर पर यहां विशाल भंडारा भी होता है। बता दें कि गोपीनाथजी का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल द्वितीया 28 मई 1968 को कश्मीर में हुआ था। भगवान गोपीनाथ जी का दूसरा नाम अघोरेश्वर हैं। 1946 से 1956 के दौरान उनके भक्तों ने उन्हें भगवान के नाम से सम्मानित किया। शास्त्रों में सावन और महाशिवरात्रि में भगवान शिव के पूजन का विशेष महत्व माना गया है। ऐसी मान्यता है कि सावन मास में जो भक्तों पूरी श्रद्धा से भगवान शिव की स्तुति और जलाभिषेक करते हैं, उन्हें सौभाग्य प्राप्ति के साथ ही सभी कष्टों-पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए हर साल सावन में विशेष रूप से भगवान शिव के पूजन व मंदिर दर्शन की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
वहीं महाशिवरात्रि का पर्व जल्द ही आने वाला है। ऐसे में भक्तों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन पूजा अर्चना करने से भक्तों के सभी कष्टों का निवारण होता है और बाबा भोलेनाथ का आर्शीवाद सदैव उन पर बना रहता है। सदियों से शिव भक्त महाशिवरात्रि के पर्व पर व्रत रखते हैं और सुबह-सुबह मंदिर जाकर पूजा अर्चना करते हैं। अगर आप भी दिल्ली- एनसीआर में रहते हैं तो आप सावन और महाशिवरात्रि के दौरान यहां दर्शन के लिए जा सकते है। हर साल इस मंदिर में भक्तों का जमावड़ा देखने को मिलता है।
मंदिर के परिसर में पीने का पानी, वाटर कूलर, शूज़ स्टोर, बैठने के लिए बेंच, प्रसाद की दुकान और शौचालय की व्यवस्था उपलब्ध है। इसके साथ ही इस मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है। यहां स्थापित शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
यह मंदिर सेक्टर 4 वैशाली में स्थित है। मंदिर से निकटतम रेलवे स्टेशन गाजियाबाद और साहिबाबाद है। वैशाली और सहिवाबाद उपनगर के लोगों के लिए सबसे सुविधा जनक वैशाली मेट्रो स्टेशन है। आप यहां वैशाली मेट्रो स्टेशन से भी पहुंच सकते है।
समय - सुबह 5:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे, शाम 5:00 बजे से रात 10:00 बजे
उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान विष्णु और एकादशी माता की पूजा के लिए विशेष माना जाता है।
इस वर्ष में मंगलवार, 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान विष्णु और माता एकादशी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है।
हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥