इस साल अपरा एकादशी 23 मई 2025 को मनाई जाएगी। यह तिथि विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा होती है। इस बार अपरा एकादशी का पर्व ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन बुध ग्रह अपना राशि परिवर्तन करेंगे। ज्योतिष में बुध ग्रह को वाणी, तर्क शक्ति, बुद्धिमत्ता, व्यापार और संचार का कारक माना जाता है। जब भी बुध अपनी राशि बदलते हैं, तो इसका असर सभी राशियों पर पड़ता है।
दरअसल, पंचांग के अनुसार, 23 मई को दोपहर 1 बजकर 5 मिनट पर बुध ग्रह मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। यह गोचर 6 जून 2025 तक रहेगा। बुध का यह गोचर सभी राशियों पर असर डालेगा, लेकिन विशेष रूप से तीन राशियां इससे लाभान्वित हो सकती हैं। इन राशियों के जातकों को मानसिक तनाव, आर्थिक समस्याएं, करियर में रुकावटें और पारिवारिक उलझनों से राहत मिल सकती है। आइए जानते हैं कौन सी हैं ये लकी राशियां...
वृषभ राशि के जातकों के लिए इस बार बुध गोचर अत्यंत शुभ साबित हो सकता है। अपरा एकादशी के दिन बुध देव का गोचर उनकी ही राशि में हो रहा है, जिससे घर-परिवार में खुशियों का माहौल बनेगा। खासकर युवा वर्ग के लिए यह समय सफलता और तरक्की लेकर आ रहा है। प्रतियोगी परीक्षाओं, करियर से जुड़े प्रयासों और रोजगार की दिशा में सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। इसके अलावा, जो लोग कर्ज से परेशान थे, उन्हें कर्ज चुकाने के अवसर मिलेंगे। आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। विवाह के इच्छुक जातकों को भी इस समय जीवनसाथी मिलने के योग बन रहे हैं।
मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध का गोचर विशेष रूप से लाभकारी साबित हो सकता है, क्योंकि बुध इस राशि के स्वामी हैं। जब बुध अपनी ही राशि में गोचर करते हैं, तो यह जातकों के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इस बार का गोचर शिक्षा, संचार, करियर और पारिवारिक जीवन में अनुकूल बदलाव ला सकता है। विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में लगेगा और अटके हुए कार्य पूरे हो सकते हैं। युवा वर्ग को किसी अनुभवी और प्रभावशाली व्यक्ति से मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है, जिससे आगे बढ़ने के नए रास्ते खुल सकते हैं। व्यापारियों के लिए भी यह समय शुभ है, मुनाफे में वृद्धि और नए सौदों की संभावना बन सकती है।
कन्या राशि के जातकों के लिए बुध का गोचर बहुत शुभ रहेगा। कन्या राशि भी बुध की प्रिय राशि मानी जाती है और इस गोचर का प्रभाव इन जातकों पर आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी राहत देने वाला हो सकता है। जिन लोगों की लंबी समय से पेमेंट अटकी हुई थी, उन्हें अब धन प्राप्ति के अवसर मिल सकते हैं। यह समय निवेश, उधारी की वसूली और सरकारी भुगतान के लिए अनुकूल रहेगा। साथ ही, जिन लोगों की सेहत पिछले कुछ समय से खराब चल रही थी, उन्हें अब धीरे-धीरे सुधार महसूस होगा। मानसिक तनाव कम होगा और आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। नौकरी और व्यवसाय में स्थिरता आएगी और जो लोग किसी नई योजना पर काम कर रहे हैं, उन्हें सफलता मिलने की संभावना है।
गोवर्धन पूजा के दिन भक्त गोवर्धन महाराज की नाभि पर दीपक जलाते हैं। इस प्रथा के पीछे भगवान कृष्ण से जुड़ी एक रोचक कथा है।
भाई दूज का पर्व पांच दिवसीय दीपोत्सव का अंतिम दिन है। जिसे कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई का तिलक करती हैं, यमराज की पूजा करती हैं और उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं।
माना जाता है कि भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ है। इन्हें देवताओं के मुख्य लेखपाल और यम के सहायक के रूप में पूजा जाता है।
माना जाता है कि भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ है। इन्हें देवताओं के मुख्य लेखपाल और यम के सहायक के रूप में पूजा जाता है।