हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। यह दिन पितरों की पूजा, तर्पण और शांति के उपायों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। यूं तो साल में आने वाली सभी अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है, लेकिन ज्येष्ठ माह की अमावस्या का अपना अलग ही महत्व होता है क्योंकि इसी दिन शनि देव का जन्म हुआ था। इस वजह से इसे शनि अमावस्या या शनि जयंती भी कहा जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल ज्येष्ठ अमावस्या कब है और क्या है इसका शुभ मुहूर्त। जानिए ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि....
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ अमावस्या 26 मई को दोपहर 12:12 बजे से शुरू होकर 27 मई को सुबह 8:32 बजे तक रहेगी। ऐसे में तिथि की मान्यता के अनुसार 26 मई को ज्येष्ठ अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन सोमवार होने की वजह से यह सोमवती अमावस्या भी कहलाएगी। साथ ही इसी दिन शनि जयंती व वट सावित्री व्रत भी मनाया जाएगा। चूंकि यह तिथि मंगलवार को समाप्त हो रही है, इसलिए 27 मई को भौमवती अमावस्या के रूप में भी विशेष महत्व रखती है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन पितर पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए इस दिन तर्पण और पितृ पूजन करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि देव की आराधना से जीवन में आने वाले कष्ट और शनि की ढैया, साढ़ेसाती जैसी बाधाएं भी शांत होती हैं। इस दिन शनि मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नमः का जाप करना बहुत शुभ होता है। साथ ही पीपल के वृक्ष की जड़ में जल अर्पण करना और दीपक जलाना भी पुण्यदायक माना जाता है।