मासिक कार्तिगाई पूजा विधि

Masik Karthigai Puja Vidhi: मासिक कार्तिगाई पर इस विधि से करें पूजा

 

सनातन हिंदू धर्म में, कार्तिगाई का विशेष महत्व है। यह पर्व दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है। इस दिन लोग अपने घरों और आस-पास दीपक जलाते हैं। मासिक कार्तिगाई के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तों को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इससे जीवन में सुख, शांति और सफलता की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन विधि पूर्वक पूजा से भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और तमाम संकट भी दूर हो जाते हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में मासिक कार्तिगाई की पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।  


कैसे करें भगवान कार्तिकेय की पूजा?   


मासिक कार्तिगाई पर पूजा करने का उचित समय सूर्यास्त से पहले का होता है। हालांकि, इस दिन पूजा करने का समय सुबह और शाम दोनों होता है।  

यह व्रत भोर में शुरू होता है और शाम को खत्म होता है। इस दिन मंदिरों में भारी भीड़ होती है। यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है। इसे कार्तिकाई बह्मोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि यह पर्व खासतौर पर तमिलनाडु में मनाया जाता है।


मासिक कार्तिगाई की पूजा सामग्री


  • लाल या सफेद पुष्प
  • फलों और मिठाईयों का भोग
  • कुमकुम और चंदन
  • सरसों का तेल 
  • धूप और दीप


मासिक कार्तिगाई की पूजा विधि


  • सबसे पहले, सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर के पूजास्थल को साफ करें और वहां एक साफ चादर बिछाएं।
  • अब कुमार कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र को आसन पर रखें।
  • इसके बाद दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
  •  इसके अलावा फूलों को उनके चरणों में अर्पित करें और कुमकुम का तिलक करें।
  • फल और मिठाई को भगवान को अर्पित करें।
  •  भगवान की आरती करें और उनके नाम का जाप करें।
  • पूजा के अंत में ध्यान करें और उनके लिए प्रार्थना करें। संतान सुख, स्वास्थ्यऔर समृद्धि के लिए विशेष रूप से इस दिन साधक प्रार्थना करें। 
  • पूजा के बाद, भोग के प्रसाद का वितरण करें। मान्यता है कि इससे आपके परिवार में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।


जानिए मासिक कार्तिगाई पूजा से लाभ 


  • कुमार कार्तिकेय की पूजा से जीवन में आने वाली बाधाओं और संकटों से मुक्ति मिलती है।
  • उनकी आराधना से स्वास्थ्य और शारीरिक शक्ति में सुधार होता है।
  • इतना ही नहीं इस दिन पूजा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिससे मानसिक शांति और खुशियां प्राप्त होती हैं।
  • व्यवसाय और व्यक्तिगत जीवन में सफलता पाने के लिए उनकी कृपा से लाभ मिलता है।

........................................................................................................
शबरी जंयती की पूजा विधि

शबरी जयंती सनातन धर्म में महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। हर साल माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में शबरी जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।

होता है सारे विश्व का, कल्याण यज्ञ से (Hota Hai Sare Vishwa Ka Kalyan Yajya Se)

होता है सारे विश्व का,
कल्याण यज्ञ से ।

अन्वाधान व इष्टि क्या है

सनातन हिंदू धर्म में, अन्वाधान व इष्टि दो प्रमुख अनुष्ठान हैं। जिसमें भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया करते हैं। इसमें प्रार्थना व पूजा कुछ समय के लिए यानी छोटी अवधि के लिए ही की जाती है।

सजा है प्यारा दरबार बाबा का (Saja Hai Pyara Darbar Baba Ka)

सजा है प्यारा दरबार बाबा का,
भक्तों ने मिलकर के किया है,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने