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नारद जयंती 2025 तिथि-मुहूर्त

नारद जयंती 2025 तिथि-मुहूर्त

Narada Jayanti 2025: नारद जयंती शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि और उपाय


नारद जयंती, देवर्षि नारद के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व 13 मई, मंगलवार को मनाया जाएगा। यह दिन वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, जो देवर्षि नारद के जन्म का प्रतीक है। 

वैशाख के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है नारद जयंती 

इस वर्ष वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 12 मई, रात 10:25 बजे से शुरू होगी और 14 मई, सुबह 12:35 बजे तक समाप्त होगी। लेकिन सूर्योदय तिथि के अनुसार, यह पर्व 13 मई को मनाया जाएगा। 

फूलों से सजाएं नारद जी की मूर्ति

  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर के पूजा स्थल की सफाई करें और वहां एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
  • फिर नारद जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। साथ ही, उन्हें फूलों और माला से सजाएं।
  • इसके बाद भोग अर्पित करें।
  • फिर नारद जी के मंत्रों का जाप करें और आरती करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र दान करें।

नारद जयंती पर सुने धार्मिक गीत 

  • सच्चे और शांत मन से नारद जी का स्मरण करें।
  • धार्मिक संगीत सुनें या बजाएं, क्योंकि नारद जी संगीत के देवता माने जाते हैं।
  • इस दिन विशेष रूप से विद्या और ज्ञान से जुड़े कार्यों में रुचि लें।

नारद जी हैं संसार के पहले पत्रकार 

नारद जी को भगवान विष्णु का परम भक्त और देवर्षि माना जाता है। उन्हें संसार का पहला पत्रकार भी कहा जाता है, क्योंकि वे देवताओं और असुरों के बीच संवाद स्थापित करते थे। उनकी विशेषता यह थी कि वे तीनों लोकों यानि स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल में स्वतंत्र रूप से यात्रा कर सकते थे। 

नारद जी का जीवन भगवान विष्णु के उपदेशों और आदर्शों को प्रचार करने के लिए समर्पित था। उनकी कथाएं हमें सिखाती हैं कि कैसे सत्य और धर्म के मार्ग पर चलते हुए, संवाद के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।

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तिलकुट चौथ की पूजा सामग्री

सकट चौथ व्रत मुख्यतः संतान की लंबी उम्र, उनके अच्छे स्वास्थ्य और तरक्की की कामना के लिए रखा जाता है। इस पर्व को गौरी पुत्र भगवान गणेश और माता सकट को समर्पित किया गया है। इसे भारत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे:- तिलकुट चौथ, वक्र-तुण्डि चतुर्थी और माघी चौथ।

पहली बार सकट चौथ करते समय इन बातों का ध्यान रखें

हिंदू धर्म में संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि से जुड़े कई व्रत-त्योहार हैं। जिनमें से सकट चौथ का पर्व विशेष माना जाता है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन महिलाएं संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

माघ माह के जरूरी उपाय

अपने इष्ट देवता की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। हर व्यक्ति का कोई न कोई इष्ट देव होता है। कोई भगवान विष्णु को मानता है, तो कोई भगवान शिव को।

क्या हैं माघ मास में स्नान के नियम?

माघ का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह महीना भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद पाना आसान होता है।

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