हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। 13 दिसंबर 2024 को मार्गशीर्ष मास का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन व्रत और पूजा के दौरान कई शुभ योगों का निर्माण होगा, जैसे शिव, सिद्धि और रवि योग। इन दुर्लभ संयोगों के कारण प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है। श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करने पर शिव परिवार की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन शिव पूजन से इच्छित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 12 दिसंबर 2024 को देर रात 10:26 बजे से शुरू होगी और 13 दिसंबर 2024 को शाम 7:40 बजे समाप्त होगी।
इस दिन प्रदोष काल शाम 5:26 बजे से शाम 7:40 बजे तक रहेगा। 13 दिसंबर शुक्रवार को पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन व्रत रखने और शिव पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी।
प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इसे श्रद्धा और समर्पण के साथ रखने से शिव परिवार की कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से जीवन में सुख-शांति आती है, पापों का नाश होता है, और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मार्गशीर्ष मास का यह अंतिम प्रदोष व्रत अद्वितीय है। क्योंकि, इस दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है।
13 दिसंबर 2024 को प्रदोष व्रत पर कई दुर्लभ योग बन रहे हैं।
1. प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
2. शाम के समय प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
3. बेलपत्र, दूध, जल, चंदन, धतूरा, अक्षत और फूल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
4. शिव और पार्वती को मिष्ठान्न, फल और पंचामृत अर्पित करें।
5. शिव मंत्रों का जाप करें।
प्रदोष व्रत शिव पूजन मंत्र
ॐ नमः शिवाय।
ॐ पार्वतीपतये नमः।
ॐ साधो जातये नमः। ओम वाम देवाय नमः।
ॐ अघोराय नमः। ओम तत्पुरुषाय नमः।
ॐ ईशानाय नमः। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय। बताया जाता है कि इन मंत्रों का श्रद्धा से जाप करने पर इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष मास का अंतिम प्रदोष व्रत और उस पर बनने वाले शुभ योग भक्तों के लिए अत्यंत फलदायक होंगे। शिव पूजा और व्रत के माध्यम से व्यक्ति शिव परिवार की कृपा प्राप्त कर सकता है। इस पवित्र दिन पर श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव करें।
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। यह तिथि पितरों की शांति के लिए विशेष मानी जाती है और इस दिन स्नान, दान, जप, और तर्पण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
परशुराम जयंती सनातन धर्म के एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
सनातन धर्म के परंपरा में अन्वाधान और इष्टि जैसे पर्व का विशेष महत्व है। ये दोनों वैष्णव संप्रदाय से जुड़े श्रद्धालुओं के अनुष्ठान हैं जो विशेष रूप से अमावस्या, पूर्णिमा और शुभ मुहूर्तों पर किए जाते हैं।
भगवान परशुराम, जिन्हें भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजा जाता है, वह पौराणिक कथाओं में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और अत्यधिक चर्चित व्यक्ति हैं।