कब है वृषभ संक्रांति, जानिए तिथि, मुहूर्त और महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, वृषभ संक्रांति एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है, जब सूर्य देव एक राशि से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं। वृषभ संक्रांति उस दिन को कहा जाता है जब सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं। यह संक्रांति न केवल ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और कृषि परंपराओं में भी विशेष महत्व रखती है।
गुरुवार, 15 मई को है वृषभ संक्रांति
इस साल वृषभ संक्रांति गुरुवार, 15 मई को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव रात 12 बजकर 11 मिनट पर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन पुण्य काल सुबह 5:49 बजे से दोपहर 12:23 बजे तक और महा पुण्य काल सुबह 5:49 बजे से 8:01 बजे तक रहेगा। साथ ही, शिव योग सुबह 7:02 बजे तक रहेगा।
हिंदू धर्म में पुण्य काल और महा पुण्य काल को अत्यंत शुभ माना जाता है। इन कालों में स्नान, दान, जप और पूजा करने से कई गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है।
वृषभ संक्रांति से शुरू होता है सुख का समय
सूर्य देव का हर महीने राशि परिवर्तन नए सौर चक्र की शुरुआत का प्रतीक होता है। वृषभ संक्रांति के साथ वृषभ मास का आरंभ होता है जो सौम्यता, स्थिरता और भौतिक सुख-सुविधाओं के संकेत देता है। वृषभ राशि शुक्र ग्रह द्वारा शासित होती है, जो प्रेम, सुंदरता और विलासिता का प्रतीक है।
इस दौरान सूर्य की स्थिति जीवन में स्थिरता, धन, खेती और वैवाहिक सुखों पर प्रभाव डालती है। यह समय धार्मिक कार्यों, भूमि से संबंधित योजनाओं और आर्थिक निवेश के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
वृषभ संक्रांति के दिन भगवान विष्णु, शंकर और सूर्य की करें पूजा
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- घर के मंदिर में दीपक जलाकर भगवान सूर्य, विष्णु और शिव की विधिपूर्वक पूजा करें।
- विशेष रूप से इस दिन सूर्य मंत्र ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ का जप 108 बार करें। इससे जीवन में प्रकाश, स्वास्थ्य और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
- गाय की पूजा, तुलसी को जल अर्पण और सात्विक भोजन ग्रहण करना इस दिन को और भी फलदायक बनाता है।
- इस दिन व्रत रखने वाले दिनभर फलाहार करते हैं और शाम को पूजा के बाद अन्न ग्रहण करते हैं।
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥
ओ जाने वाले रघुवीर को,
प्रणाम हमारा कह देना
रहे संग तेरा नाम प्रभु,
हर पल मेरे जीवन में,
राहों में फूल बिछाऊँगी,
जब राम मेरे घर आएंगे,