सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान की पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और जातक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। भक्त अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान जैसे कि पूजा, हवन, व्रत और आरती की जाती है। साथ ही उन्हें फूल भी अर्पित किया जाता है। बिना फूल के किसी भी देवी-देवता की पूजा अधूरी मानी जाती है। अब ऐसे में सवाल है कि आखिर भगवान की पूजा में फूल क्यों चढ़ाया जाता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित त्रिपाठी जी से विस्तार से जानते हैं।
हिंदू धर्म में पूजा के दौरान देवी-देवताओं को फूल चढ़ाना एक पवित्र परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि देवी-देवता फूलों की सुगंध से प्रसन्न होते हैं। फूल चढ़ाने से भक्तों की भक्ति और श्रद्धा प्रकट होती है, जिससे देवता प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, देवी-देवताओं को फूल चढ़ाने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इससे व्यक्ति के पाप कम होते हैं और उसे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
शास्त्रीय ग्रंथों में फूलों को देवताओं का आभूषण माना गया है। 'शारदा तिलक' नामक ग्रंथ में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि देवताओं का मस्तक हमेशा फूलों से सुशोभित रहना चाहिए। यह वाक्य दर्शाता है कि फूलों को देवताओं को अर्पित करना कितना महत्वपूर्ण है।
फूल शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता हैं और अपने आराध्य को उनके प्रिय फूल अर्पित करने से उनकी कृपा भक्तों पर बनी रहती है। इसलिए अगर आप पूजा कर रहे हैं, तो देवी-देवताओं को फूल जरूर चढ़ाएं।
सनातन धर्म के लोगों की भगवान कृष्ण से खास आस्था जुड़ी है। कृष्ण जी को भगवान विष्णु का ही एक अवतार माना जाता है, जो धैर्य, करुणा और प्रेम के प्रतीक हैं।
पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो इस साल 22 दिसंबर को पड़ रही है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पहली पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्म की याद में मनाया जाता है।
पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो इस साल 22 दिसंबर को मनाया जा रहा है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पहली पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्म की याद में मनाया जाता है।
सनातन धर्म में 33 करोड़ यानी कि 33 प्रकार के देवी-देवता हैं। जिनकी पूजा विभिन्न विधि-विधान के साथ की जाती है। इन्हीं में एक नागराज वासुकी हैं। वासुकी प्रमुख नागदेवता हैं और नागों के राजा शेषनाग के भाई हैं।