नवीनतम लेख
छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है। जिसे सूर्य उपासना और छठी मईया की आराधना के रूप में मनाया जाता है। विशेष रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश में प्रचलित यह पर्व कुल 04 दिनों तक चलता है। इसमें सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनकी कृपा प्राप्त की जाती है। पूजा के दौरान शुद्ध और पवित्र सामग्रियों का इस्तेमाल होता है। इसमें केला, नारियल, गन्ना, सुथनी, सुपारी, सिंघाड़ा और डाभ नींबू शामिल हैं। इन सामग्रियों के स्वास्थ्य संबंधी फायदे भी हैं, जो इस पर्व को और भी खास बना देते हैं।
छठ पूजा मुख्य रूप से हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। छठ पर्व में सूर्य देव को अर्घ्य देकर उन्हें फल और अन्य सामग्रियों का प्रसाद अर्पित किया जाता है। इस त्योहार में नहाय-खाय, खरना, सायं अर्घ्य और प्रातः अर्घ्य के अलग अलग अनुष्ठान शामिल होते हैं। बता दें कि छठ पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रसाद और फलों का विशेष महत्व होता है। इन सामग्रियों के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक तर्क हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि छठी मईया की पूजा में किन सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है और उनका महत्व क्या होता है।
1. सुथनी:- सुथनी, जो एक प्रकार से शकरकंद की तरह ही होता है। इसे छठ पूजा में एक विशेष प्रसाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल, यह मिट्टी से निकलने वाला एक खाद्य पदार्थ है। इसमें कई औषधीय गुण भी होते हैं। सुथनी का सेवन पाचन तंत्र को मजबूत करता है और अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मददगार होता है। इस फल में फाइबर, प्रोटीन और कई प्रकार के विटामिन व मिनरल्स होते हैं।
2. केला:- केला छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण फल है। यह ना सिर्फ छठी मैया का प्रिय फल है। बल्कि, भगवान विष्णु से भी इसका संबंध है। धार्मिक मान्यता के अनुसार केले में भगवान विष्णु का वास है। इसलिए, इसे शुद्ध और पवित्र फल माना जाता है। पूजा में कच्चे केले का इस्तेमाल किया जाता है। छठ पूजा में केले का घोद घर पर लाकर पकाया जाता है ताकि यह झूठा ना हो। केले में पोटैशियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, विटामिन बी6 और आयरन प्रचुर मात्रा में होते हैं।
3. डाभ नींबू:- डाभ नींबू एक बड़ा खट्टा-मीठा फल होता है जिसे छठ पूजा में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इसका आकार बड़ा होने के कारण यह पशु-पक्षियों के द्वारा झूठा नहीं होता। यह फल विटामिन-सी से भरपूर होता है। इसके साथ ही ये इम्युनिटी को भी मजबूत बनाकर शरीर को संक्रमणों से बचाता है।
4. नारियल:- नारियल भी छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण प्रसाद है। नारियल को पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। इसे चढ़ाने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। छठ पूजा में कुछ लोग मनौती पूरी होने पर नारियल चढ़ाते हैं। देखा जाता है कि छठ पूजा के दौरान लोग अपने डाले में कई नारियल रखते हैं।
5. गन्ना:- गन्ना छठ पूजा का एक और प्रमुख प्रसाद है। इसे छठी मईया का प्रिय माना जाता है। गन्ने से बने गुड़ का भी प्रसाद में उपयोग किया जाता है। कई लोग गन्ने का से तोरण बना इसका पूजा करते हैं। गन्ना खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और गैस की समस्या से राहत मिलती है। इसके साथ ही गन्ना खाने से दांतों और मसूड़ों को भी मजबूती मिलती है।
6. सुपारी:- हिंदू धर्म में किसी भी पूजा में सुपारी का विशेष महत्व माना गया है। सुपारी पर देवी लक्ष्मी का प्रभाव माना जाता है और इसे पूजा में पान के साथ इस्तेमाल किया जाता है। बिना सुपारी के कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए, छठ पूजा में भी इसे अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है।
7. सिंघाड़ा:- सिंघाड़ा एक मौसमी फल है, जिसे छठ पूजा के प्रसाद में शामिल किया जाता है। यह पानी में उगने वाला फल है जो ऊपर से सख्त होता है और इसे पशु-पक्षी आसानी से झूठा नहीं कर पाते हैं। सिंघाड़ा लक्ष्मी का प्रिय फल माना गया है और इसमें कई औषधीय गुण होते हैं। इसे खाने से शरीर को हाइड्रेट रखा जा सकता है।
छठ पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाले फलों का धार्मिक और स्वास्थ्य संबंधी महत्व होता है। इन फलों को प्रसाद के रूप में अर्पित कर भक्त अपनी श्रद्धा और विश्वास भगवान के प्रति प्रकट करते हैं। इसके साथ ही इन फलों के सेवन से स्वास्थ्य को भी लाभ मिलता है। केला, डाभ नींबू, नारियल, गन्ना, सुथनी, सुपारी और सिंघाड़ा केवल छठ पूजा के महत्वपूर्ण अंग ही नहीं हैं। बल्कि, ये जीवन में शुद्धता, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक हैं।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।