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आंवला नवमी शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

आंवला नवमी शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Amla Navami 2024: क्यों मनाई जाती है आंवला नवमी ? जानें पूजा का शुभ मुहू्र्त एवं विधि 


हिंदू धर्म में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का त्योहार मनाया जाता है। इसे अक्षय नवमी और सीता नवमी के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन विष्णु पूजा के लिए खास माना जाता है। अक्षय नवमी का दिन भी अक्षय तृतीया के समान ही अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अक्षय तृतीया त्रेता युगा से मनाया जा रहा है। पुराणों में बताया गया है कि अक्षय नवमी के दिन ही सतयुग की शुरुआत हुई थी। इस वजह से अक्षय नवमी को “सत्य युगादि” भी कहा जाता है। 


अक्षय नवमी में यहां करें भ्रमण 


अक्षय नवमी के शुभ अवसर पर मथुरा-वृन्दावन की परिक्रमा का अत्यधिक महत्व है। सत्य युगादि के पावन दिन पर अक्षय पुण्य अर्जित करने हेतु हजारों भक्त मथुरा-वृन्दावन की परिक्रमा करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इसके साथ ही परंपरागत रूप से अक्षय नवमी के शुभ दिन पर आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। यही त्यौहार पश्चिम बंगाल में जगद्धात्री पूजा के रूप में मनाया जाता है। जिसके अन्तर्गत सत्ता की देवी, जगद्धात्री की पूजा की जाती है। इस दिन दान पुण्य को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। इस दिन किसी भी तरह का दान धर्म करते हैं तो उसका अच्छा फल आपको मिलता है। इसका फल ना सिर्फ इस जन्म में बल्कि आने वाले जन्मों में भी आपको इस पुण्य का लाभ मिलता है।


आंवला नवमी 2024 की तारीख 


पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 9 नवंबर को रात 10.45 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 10 नवंबर 2024 को रात 09 बजकर 01 मिनट तक जारी रहेगी। इसलिए, अक्षय नवमी या आंवला नवमी इस साल यानी 2024  में 10 नवंबर को मनाई जाएगी। यह पर्व देवउठनी एकादशी से दो दिन पूर्व मनाया जाता है।


आंवला नवमी 2024 मुहूर्त 


  • अक्षय नवमी पूर्वाह्न समय- सुबह 06:40 से दोपहर 12:05 तक। 
  • अवधि - 05 घण्टे 25 मिनट। 


आंवला नवमी का महत्व


आंवला नवमी को अक्षय नवमी नाम से भी जाना जाता है। जैसा कि अक्षय नाम से पता चलता है इस दिन कोई भी दान या भक्ति सम्बधी कार्य करने करने से उसका पुण्यफल कभी कम नहीं होता तथा व्यक्ति को ना केवल इस जन्म में अपितु आने वाले जन्मों में भी उसका पुण्यफल प्राप्त होता है। आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था। आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा भी की थी। इस दिन सभी महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती है। 


आंवला नवमी पूजा विधि:


  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। 
  • इसके बाद आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना करें।
  • इसके बाद पूजा करते समय आंवले के पेड़ को दूध चढ़ाना चाहिए।
  • इसके अलावा रोली, अक्षत, फल-फूल आदि से आंवले के पेड़ की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
  • इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • आंवले के पेड़ की परिक्रमा करें, साथ ही दीया भी जलाएं।
  • इसके बाद पेड़ के नीचे बैठकर कथा को सुने अथवा पढ़ें। 
  • पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर ध्यान करें।
  • अंत में भोग लगाकर प्रसाद वितरण करें। 


आंवला नवमी पर करें ये काम 


वैसे तो पूरे कार्तिक मास में पवित्र नदियों में स्नान का माहात्म्य है। लेकिन, नवमी को स्नान करने से इसका अक्षय पुण्य होता है। 

इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने और उसे ग्रहण करने का विशेष महत्त्व है। इससे उत्तम स्वास्थ मिलता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है। 

अक्षय नवमी के शुभ अवसर पर मथुरा-वृन्दावन की परिक्रमा भी की जाती है इसके फल स्वरूप व्यक्ति बैकुंठ धाम में स्थान पाता है। 


नोट: आंवला नवमी व्रत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें और कथा आप इस लिंक को क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

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जनवरी में कब पड़ेगी स्कंद षष्ठी

स्कंद षष्ठी हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है।

स्कंद षष्ठी व्रत कथा

स्कंद षष्ठी का व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 की पहली स्कन्द षष्ठी 05 जनवरी को मनाई जाएगी।

स्कंद षष्ठी पारण विधि

हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। स्कंद देव यानी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती हैं।

स्कन्द षष्ठी व्रत नियम

हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में षष्ठी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यह तिथि शिव-पार्वती जी के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।

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