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पूजा में हवन क्यों किया जाता है?

पूजा में हवन क्यों किया जाता है?

सदियों से चली आ रही है हवन की परंपरा, जानिए क्या है इसके पीछे कारण 


हवन की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसका उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। अग्नि को देवताओं का प्रतीक मानते हुए, हवन या यज्ञ के माध्यम से ईश्वर की उपासना की जाती है। मान्यता है कि हवन से न केवल वातावरण शुद्ध होता है, बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है, जिससे मन शांत और आत्मा का उद्धार होता है। आपको बता दें, ऐसी मान्यता है कि हवन के माध्यम से देवताओं का आह्वान किया जाता है। इससे देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।  
हवन में जलाए जाने वाले सामग्रियों से निकलने वाला धुआं नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और वातावरण को शुद्ध करता है। हवन करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य त्रिपाठी जी के द्वारा बताए जानकारी के माध्यम से जानते हैं कि पूजा में हवन क्यों किया जाता है। 

हवन का धार्मिक महत्व क्या है?


पूजा के बाद हवन आज भी उतना ही महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है जितना सदियों से रहा है। हिंदू धर्म में इसे शुद्धिकरण का पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। कहा जाता है कि कोई भी धार्मिक कार्य, चाहे वह पूजा-पाठ हो या कोई अन्य अनुष्ठान, हवन के बिना अधूरा है। कई शुभ कार्यों जैसे भूमि पूजन, भवन निर्माण, विवाह आदि में हवन किया जाता है। यह न केवल शुभ फलदायी होता है बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। हवन से वास्तु दोष भी दूर होते हैं और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है।"

हवन करने का वैज्ञानिक महत्व क्या है?


हवन एक ऐसा अनुष्ठान है जो धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। हवन से निकलने वाला धुआँ न केवल वातावरण को शुद्ध करता है बल्कि कई प्रकार के हानिकारक जीवाणुओं को भी नष्ट कर देता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, हवन में लगभग सभी हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।

हवन करने से दूर होता है वास्तु दोष


हवन को वास्तु दोषों को दूर करने का एक प्राचीन उपाय माना जाता है। यह घर में मौजूद किसी भी प्रकार के वास्तु दोष को ठीक करने में मदद करता है।

हवन के दौरान इन बातों का रखें ध्यान


  • विद्वान ब्राह्मण - हवन को किसी विद्वान ब्राह्मण द्वारा ही करवाना चाहिए।
  • शुद्ध सामग्री - हवन में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्रियां शुद्ध होनी चाहिए।
  • शुभ मुहूर्त - हवन को किसी शुभ मुहूर्त में करवाना चाहिए।

हवन के दौरान मंत्रों का जाप 


  • ॐ अग्नये स्वाहा:
  • ॐ गणपतये स्वाहा:
  • ॐ ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा: 
  • ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा: 



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देव दिवाली पर कितने दीप जलाएं

देव दीपावली, जिसे कार्तिक पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है, भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर राक्षस के संहार की याद में मनाया जाता है।

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हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाने वाला देव दिवाली पर्व भगवान शिव की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, जिसके उपलक्ष्य में देवताओं ने स्वर्गलोक में दीप जलाकर दिवाली मनाई थी।

देव दिवाली पितृ कृपा

देव दिवाली, जो कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर मनायी जाती है, भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, इसके उपलक्ष्य में देवताओं ने स्वर्ग में दीप जलाकर दिवाली मनाई थी।

देव दिवाली की कथा

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