हरियाणा के पंचकूला में भीमा देवी का मंदिर स्थित है।भीमा देवी मंदिर मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। इस मंदिर को गुर्जर प्रतिहार के शासनकाल के दौरान बनाया गया था इसका इतिहास 8वीं शताब्दी का पौराणिक मंदिर माना जाता है। इसका संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।
इस मंदिर के मौजूदा स्वरूप का पता 1947 पुरातत्व विभाग की खुदाई में चला था। इस दौरान यहां 100 प्राचीन मूर्तियां मिली थी। खुदाई के दौरान मिली हुई अधिकतर मूर्तियों को संग्रहालय में रखा गया है। यहां मंदिर में आपको एक गार्डन भी देखने को मिलेगा। इस गार्डन को पिंजौर गार्डन के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि औरंगजेब के सौतेले भाई ने इसे बनवाया था।
हरियाणा के जिस पिंजौर शहर में यह मंदिर है उसका पौराणिक संबंध पांडवों से है। कहा जाता है कि पांडव अपने वनवास के दौरान पिंजौर में भी रहे थे। यही उन्होंने मां काली की पूजा और यज्ञ किया था। भीमा देवी के बारे में कहा जाता है कि वो ऋषियों की रक्षा करने के लिए प्रकट हुई थी।
इस मंदिर का नक्शा पांच मंदिरों को दर्शाता है, जिसमें मुख्य मंदिर भी शामिल है। जो पंचायत वास्तुशिल्प शैली की प्रतिनिधित्व करता है। इस मंदिर की वास्तु शैली, समकालीन खजुराहो और भुवनेश्वर मंदिरों में दिखाई देने वाली शैली के समान है। भीमा देवी मंदिर की खुदाई के दौरान कई देवी-देवताओं के मूर्ति पाई गई थी। इनमें शिव, पार्वती, विष्णु, गणेश और कार्तिकेय आदि शामिल हैं। पुरातत्वविदों ने मूर्तियों को चार श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया है।
1. हिंदू देवताओं और देवी की मूर्तियां
2. अप्सरा, सहायक, गंधर्व और आकाशीय संगीतकारों की मूर्तियां
3. पशु की आकृति
4. समकालीन समय के कामुक चित्र
हवाई मार्ग - यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट चंडीगढ़ है। फिर एयरपोर्ट से आप बस, रिक्शा या टैक्सी से पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग - यहां पर चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन और पंचकुला से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग - मंदिर पिंजौर से लगभग 10 किमी दूर, यादविंद्रा गार्डन के पास स्थित है। आप यहां पर निकटतम टर्मिनल सेक्टर 17 से आ सकते हैं।
चैत्र नवरात्रि की दुर्गाष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दुर्गाष्टमी पर मां महागौरी की पूजा-अर्चना, साधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।
चैत्र नवरात्रि के अंतिम यानी नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। देवी सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती हैं।
चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का नौवां स्वरूप है। मां सिद्धिदात्री शब्द का अर्थ है सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी। इसीलिए मां के इस रूप की पूजा-अर्चना और साधना करने से सभी कार्यों में सिद्धि मिलती है।
आज 11 अप्रैल 2025 चैत्र माह का छब्बीसवां दिन है और आज इस पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष तिथि चतुर्दशी है। आज शुक्रवार का दिन है। इस तिथि पर ध्रुव योग रहेगा।