सूर्य मंदिर, रांची, झारखंड (Surya Mandir, Ranchi, Jharkhand)

दर्शन समय

9 AM - 5 PM

रथ के आकार वाला सूर्य मंदिर, यहां आकर पूजा करने से दूर होता चर्म रोग

 


झारखंड राज्य में स्थित सूर्य मंदिर एक ऐसा स्थान, जो अपनी अद्वितीय वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। इस मंदिर की अनूठी बनावट और पौराणिक कथाओं ने इसे न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध बना दिया है। सूर्य मंदिर झारखंड राज्य के रांची जिला से महज 40 किलोमीटर की दूरी रांची- टाटा मार्ग के बुंडू के एदलहातु गांव के पहाड़ पर स्थित है। सूर्य मंदिर का निर्माण एक विशाल रथ के रूप में किया गया है, जिसमें 15 पहिये और सात घोड़े है। मंदिर के अंदर शिव, पार्वती और गणेश सहित कई मूर्तिया विराजमान है। ये मंदिर रांची जिला का बहुत प्रसिद्ध मंदिर है, जो देखने में काफी मनमोहक लगता है।


रामायण काल से जुड़ा मंदिर का इतिहास 



सफेद मार्बल से बने इस सुंदर मंदिर का इतिहास सालों पुराना है जिसे रामायण काल से भी जोड़ा जाता है। सूर्य मंदिर का निर्माण रांची के एक रांची एक्सप्रेस समूह के प्रबंध निदेशक श्री सीता राम मारू की अध्यक्षता में एक धर्मार्थ ट्रस्ट संस्कृति विहार द्वारा कराया गया था। 24 अक्टूबर 1991 को स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती द्वारा आधारशिला रखी गई थी और 10 जुलाई 1994 को स्वामी श्री वामदेव जी महाराज द्वारा प्राण प्रतिष्ठा की गई। सूर्य मंदिर के सामने एक बड़ा तालाब है, जहां लोग स्नान कर सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना करते है। 


भगवान विष्णु का अवतार है सूर्य देवता


 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देवता को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। यहां पर सूर्य देवता की मूर्ति स्थापित है। जिसे भक्त सुबह-सुबह सूर्योदय के समय पूजते हैं। सूर्य मंदिर में हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर भव्य मेला लगता है। जिसे कुंभ मेले के नाम से जाना जाता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते है। यहां की हरी-भरी वादियां और स्वर्णरेखा नदी का किनारा एक शांत और सुकून का वातावरण प्रदान करता है।


प्रभु श्रीराम ने की थी सूर्य देव की आराधना



इस मंदिर में भगवान सूर्य के साथ माता पार्वती, महादेव और गणेश जी की मूर्तियां भी मौजूद हैं। सालों पुराने इस मंदिर का जुड़ाव त्रेता युग से भी है, जहां भगवान राम ने सूर्य देव की आराधना की थी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वनवास के दौरान भगवान श्रीराम , माता सीता और लक्ष्मण के साथ बुंडू आए थे। इस दौरान प्रभु श्रीराम ने यहां पर सूर्य देव की आराधना की थी। सूर्य देव भगवान श्रीराम के कुल देवता भी थे। इसी कारण बुंडू में सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया। इस मंदिर में सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए दूर-दूर से लोग लोग आते हैं। माना जाता है कि भगवान सूर्य अपने भक्तों के सारे रोग हर लेते हैं। यही वजह है कि बुंडू सूर्य मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यहां आकर माथा टेकने मात्र से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। 


छठ पूजा का विशेष महत्व



हिंदू धर्म के लोगों के पावन पर्व छठ में भगवान सूर्य की विशेष पूजा की जाती है। सूर्य देव को समर्पित इस महापर्व के दौरान पूरा माहौल भक्तिमय रहता है। पूजा के पहले मंदिर की विशेष साफ-सफाई की जाती है। सूर्य मंदिर के सामने बड़ा तालाब है, जहां लोग स्नान कर सूर्य भगवान की पूजा करते है। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु सूर्य देव की उपासना करने बुंडू सूर्य मंदिर पहुंचते हैं। सूर्य मंदिर झारखंड के प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्रों में से एक है। 


सूर्य मंदिर में मुख्य मेला 25 जनवरी को हर साल मेला कमेटी की तरफ से लगाया जाता है। मेले में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। इस मेले में काफी भीड़ उमड़ती है। 


सूर्य की किरणों में चमत्कार



सूर्य भगवान को बीमारी निवारक देवता भी माना जाता है। कहते हैं कि सूर्य की किरणें इतनी प्रभावशाली होती है कि आपकी बीमारी को जड़ से ठीक कर सकती है, इसलिए हमारे वेद पुराणों में भी सुबह की पहली किरण के दर्शन करने की बात कही गई हैं।


मंदिर कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट रांची है। यहां से आप टैक्सी ये बस के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।


रेल मार्ग - यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रांची है। रांची स्टेशन से आप आसानी से टैक्सी या बस के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।


सड़क मार्ग - ये मंदिर रांची जमशेदपुर रोड पर स्थित है तो आप रांची या जमशेदपुर से आसानी से बस या टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।


मंदिर का समय - सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक।


डिसक्लेमर

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