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दुर्गा मंदिर, एहोल (Durga Mandir, Aihole)

दुर्गा मंदिर, एहोल (Durga Mandir, Aihole)

7वीं-8वीं शताब्दी में बना था एहोल का दुर्गा मंदिर, इसमें भगवान की पूजा नहीं होती 


एहोल को कर्नाटक के मंदिरों का उद्गम स्थल कहा जाता है। प्राचीन दुर्गा मंदिर भी इसी का हिस्सा है। इसका निर्माण चालुक्य राजाओं ने 7वीं-8वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर को मराठा शासकों की किलेबंदी से भी जोड़ा जाता है। मंदिर में दुर्गा मूर्ति स्थापित है जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की छवियों का प्रतिनिधित्व करती है। भारतीय पुरातत्व विभाग इस मंदिर की देखरेख करता है साथ ही मंदिर यूनेस्को के ऐतिहासिक धरोहरों की वेटिंग लिस्ट में है। 


चतुर्भुज आकार और गजप्रस्ता शैली में बना मंदिर


मंदिर की बनावट चतुर्भुज आकार की है। मंदिर का विशिष्ट आकार गजप्रस्ता शैली में है। इसे हाथी के पिछले हिस्से की रूपरेखा से तैयार किया गया था। एक बौद्ध चैत्य भी मंदिर का हिस्सा है जो बढ़िया नक्काशी का उदाहरण है। मंदिर की छत पर सिर वाला नाग उकेरा गया है। 


मंदिर को मूल रूप से द्रविड़ शैली में बनाया गया है, जिसके बीच में नागर शैली भी देखने को मिलती है। मंदिर में राज दरबारों की तरह परिक्रमा मार्ग बनाया गया है। परिक्रमा में शिव नंदी बैल से शुरू होकर, भगवान विष्णु के नरसिंह और वराह अवतार और उनके वाहन गरुड़ पर भगवान, हरिहर की एक छवि और पहले बताई गई दुर्गा की मूर्ति- अपने त्रिशूल से राक्षस को मारती हुईं, प्रतिमा देखने को मिलती है। वर्तमान में मंदिर में कोई पूजा नहीं की जाती है और यहां कोई त्यौहार नहीं मनाया जाता है।


दुर्गा मंदिर कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - ऐहोल के दुर्गा मंदिर के लिए निकटतम हवाई अड्डा बेलगाम में स्थित है, जो मंदिर से लगभग 189 किमी दूर है। हुबली शहर जो लगभग 104 किमी दूर है वहां वायु सेना बेस हवाई अड्डा है। यहां से आप टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।


रेल मार्ग - यहां पर निकटतम रेलवे स्टेशन हुबली-सोलापुर गेज लाइन है, जो लगभग 34 किमी दूर हैं। यहां से आप टैक्सी या स्थानीय वाहन के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।


सड़क मार्ग - कर्नाटक के प्रमुख शहरों से ऐहोल सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। आस-पास के शहरों और कस्बों से ऐहोल में मंदिर तक के लिए कई बसें चलती है।


मंदिर का समय-  सुबह 6 बजे से शाम 5.30 बजे तक।



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