कोटिलिंगेश्वर में शिवलिंग की स्थापना करने से मनोकामना पूरी होती है, इस मंदिर में लाखों शिवलिंग
कर्नाटक के कोलार जिले में भगवान कोटिलिंगेश्वर मंदिर है । जिले के एक छोटे से कम्मा असंद्रा गांव में स्थित है। यह मंदिर एशिया में मौजूद सबसे बड़े और सबसे ऊंचे शिवलिंग के कारण प्रसिद्ध है। हर साल 2 लाख से ज्यादा भक्त इस मंदिर में आते है। एक करोड़ शिवलिंग स्थापित करने की अनूठी पहल के तहत इस मंदिर का निर्माण किया गया है और अब तक यहां लाखों शिवलिंग की स्थापना हो चुकी है। माना जाता है कि यहां आकर मनोकामना पूरी होने पर भक्त भी अपना शिवलिंग स्थापित करवा सकते हैं।
मंदिर का निर्माण 1980 में हुआ
मंदिर का निर्माण 1980 में स्वामी सांभ शिव मूर्ति और उनकी पत्नी वी रुक्मिणी ने करवाया था और उन्ही ने यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी। उसके बाद 5 शिवलिंग फिर 101 शिवलिंग और फिर 1001 शिवलिंग स्थापित किए गए। स्वामीजी का सपना था कि यहां पर एक करोड़ शिवलिंग स्थापित करना है। लेकिन साल 2018 में उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन उनके जाने के बाद भी यहां शिवलिंग लगातार ही बनाए जा रहे हैं। साल 1994 में यहां पर 108 फीट लंबा शिवलिंग स्थापित किया गया। इतनी ही नहीं नंदी की भी विशाल मूर्ति यहां स्थापित की गई।
मंदिर परिसर में 11 और मंदिर
इस पूरे मंदिर परिसर में कोटिलिंगेश्वर के अलावा 11 और मंदिर मौजूद है। इनमें से पहले में भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा और भगवान महेश्वर मंदिर शामिल हैं। इसके बाद भगवान कोटिलिंगेश्वर का मंदिर है। इस मंदिरों में देवी अन्नपूर्णेश्वरी मंदिर, देवी करुमारी, अम्मा मंदिर, भगवान वेंकटरमण स्वामी मंदिर, भगवान पांडुरंगा स्वामी मंदिर, भगवान राम, सीता और लक्ष्मण मंदिर, भगवान पंचमुख गणपति मंदिर, भगवान अंजनेया मंदिर और अंत में देवी कन्निका परमेश्वरी मंदिर शामिल हैं।
मंदिर की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, गौतम ऋषि के श्राप की मुक्ति पाने के लिए इंद्रदेव ने इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी। उस समय उन्होंने भगवान शिव का 1000 घड़ों से जलाभिषेक किया था। इसके बाद से इस जगह को कोटिलिंगेश्वर के रूप में जाना जाने लगा। अगर कोई भी भक्त इस मंदिर परिसर में शिवलिंग की स्थापना करवाना चाहता है तो वह 1 से लेकर 3 फुट तक के शिवलिंग को अपने नाम से स्थापित करवा सकता है। मान्यता है कि यहां के वृक्षों पर पीले धागे बांधने से भी मनोकामना पूरी होती है।
मंदिर में त्यौहार
कोटिलिंगेश्वर मंदिर में प्रतिदिन स्थापित शिवलिंग पर पुजारियों द्वारा दैनिक पूजा की जाती है। पूजा संगीत और ढोल के साथ की जाती है और सभी पुजारी मंत्रों का उच्चारण करते हैं और साथ ही लिंग पर जल चढ़ाते हैं। भक्त लिंग की स्थापना करके विशेष पूजा भी कर सकते हैं।
मंदिर में प्रवेश शुल्क
कोटिलिंगेश्वर मंदिर में प्रवेश शुल्क के रूप में आपको 20 रुपये का भुगतान करना होगा। प्रवेश शुल्क सभी भक्तों के लिए सामान है और विशेष दर्शन प्रविष्टियों के लिए कोई अतिरिक्त सुविधाएं या उपकार नहीं है। अगर आप मंदिर के अंदर कैमरा लेकर जा रहे है तो आपको 100 रुपये का अतिरिक्त शुल्क देना होगा।
कैसे पहुंचे कोटिलिंगेश्वर मंदिर
हवाई मार्ग- कोटिलिंगेश्वर मंदिर के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बेंगलुरु में केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यें मंदिर से लगभग 110 किमी की दूरी पर है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी या बस किराए पर ले सकते हैं।
रेल मार्ग - कोलार का रेलवे स्टेशन दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कोलार तक आप ट्रेन से आएंगे फिर मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी या रिक्शा किराए पर ले सकते हैं।
सड़क मार्ग - कोलार में स्थित, यह शहर सभी प्रमुख राजमार्गों और आसपास के शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप मंदिर तक पहुंचने के लिए एक आरामदायक यात्रा कर सकते हैं।
मंदिर का समय - सुबह 7 बजे से रात 9.30 बजे तक।