गोमटेश्वर बाहुबली का जैन मंदिर, जहां विराजमान है एक ही चट्टान को तराश कर बनाई गई सबसे बड़ी मूर्ति
दक्षिण कर्नाटक में एक महत्वपूर्ण जैन तीर्थस्थल भगवान गोमेटेश्वर की 18 मीटर ऊंची प्रतिमा स्थापित है। यह श्रवणबेलगोला नामक एक छोटे से गांव में स्थित है। इतने बड़े पैमाने की मूर्ति पर इतनी शालीनता और संतुलन देखना बहुत आश्चर्यजनक है। बता दें कि इसे ग्रेनाइट के एक ही खंड से तराश कर बनाया गया है। यह 30 किमी दूर से ही दिखाई देता है। गोमेटेश्वर मंदिर को भारत में बाहुबली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। गोमेटेश्वर की मूर्ति का वजन लगभग 80 टन बताया जाता है। मूर्ति तक पहुंचने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस मूर्ति को 1432 ई. में राजा "वीर पंड्या" द्वारा स्थापित किया गया था, जो उस समय राजा थे। यहां हर 12 साल में एक बार "महामस्तकाभिषेक" का उत्सव मनाया जाता है। जिसमें इस प्रतिमा को दूध, पानी, केसर के लेप से स्नान कराया जाता है और उसके बाद "चंदन पाउडर", "हल्दी" और "सिंदूर" छिड़का जाता है। लोग इस उत्सव में बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।
मंदिर की विशेषता
मंदिर में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है। वैसे तो मंदिर सालों भर खुला रहता है लेकिन दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय सितम्बर से मार्च तक है। पहाड़ी की चोटी पर पहुँचने के लिए नंगे पाँव लगभग 660 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। ढलान पर चढ़ने के लिए बुजुर्गों के लिए पालकी सेवा उपलब्ध है। बता दें कि प्रवेश के लिए किसी विशिष्ट ड्रेस कोड की आवश्यकता नहीं है।
कैसे पहुंचे
करकला उडुपी से करीब 40 किलोमीटर दूर है। यह एक छोटा शहर है, लेकिन यह उडुपी और मैंगलोर से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। श्रवणबेलगोला मंदिर के लिए निकटतम हवाई अड्डा बेंगलुरु हवाई अड्डा (बीएलआर) है। वहीं श्रवणबेलगोला मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन हासन रेलवे स्टेशन है।
समय : सुबह 6.30 बजे से 11.30 बजे,दोपहर 3.30 बजे से शाम 6.30 बजे
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