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महाकुंभ के बाद कहां जाएंगे नागा साधु

महाकुंभ के बाद कहां जाएंगे नागा साधु

महाशिवरात्रि पर काशी में नागा साधु करेंगे पूजा, फिर हिमालय के लिए निकल जाएंगे


महाकुंभ के सफल आयोजन के बाद अब सभी अखाड़े और साधु- संन्यासी इस समय काशी में हैं। बाबा विश्वानाथ की पूजा-आराधना के बिना महाकुंभ का शाही स्नान शैव संप्रदाय के नागा साधुओं के लिए अधूरा माना जाता है। यही कारण है कि महाशिवरात्रि का अमृत स्नान नागा संन्यासी काशी में करेंगे। वाराणसी के हरिश्चंद्र, हनुमान घाट और शिवाला घाट पर नागा साधुओं ने अपना डेरा लगा लिया है। काशी आए नागा साधुओं को देखने के लिए घाटों पर भीड़ भी उमड़ रही है। बता दें कि नागा साधु महाशिवरात्रि का अमृत स्नान बाबा विश्वनाथ के नगरी काशी में करते है। गंगा में स्नान के बाद वो बाबा विश्वनाथ को जल अर्पण कर लौट जाते हैं।


40 साल में पहली बार हिस्सा बनेंगे काशी आए नागा साधु


चार दशक से ज्यादा समय से निकलने वाली शिव बारात में अब तक स्‍वांग और रास मंडली के कलाकार तरह-तरह के स्‍वांग रचाते रहे। कोई नागा साधु और कोई अघोरी बनकर भस्‍म की होली खेलते तो महाकाल, माता पार्वती और काली, भूत-पिशाच के स्वरूप में भी शामिल होता रहा। लेकिन इस बार पहला मौका होगा जब प्रयागराज से काशी आकर गंगा तट पर धूनी रमाने वाले नागा साधु और अघोरी भी शिव बारात में शामिल होंगे। 


अनूठी होगी शिव बारात


महाशिवरात्रि का त्योहार तो देश के कोने-कोने में मनाया जाता है, लेकिन बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में शिव उत्सव का विशेष महत्व होता है। घर से लेकर शिवालय तक अभिषेक और पूजन होता है। काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के दर्शन-पूजन को देशभर से श्रद्धालु पहुंचेंगे, साथ ही भोले की सेना नागा साधु गंगा स्नान कर भस्म अभिषेक यात्रा में बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन के लिए निकलेंगे। बता दें कि नागा साधुओं की यात्रा के दौरान करीब आठ किलोमीटर लंबी सड़क और काशी विश्वनाथ मंदिर में दो घंटे आमजन की आवाजाही पर रोक रहेगी।


महाकुंभ के बाद कहां जाएंगे नागा साधु


144 साल के शुभ संयोग के दौरान प्रयागराज में लगे महाकुंभ में नागा साधुओं ने तीनों अमृत स्नान कर लिए हैं। कुछ नागा साधु 12 फरवरी को तो कुछ वसंत पंचमी के बाद से ही प्रयागराज से चले गए। कुछ अखाड़ों के नागा साधु और अघोरी अब अगला पड़ाव काशी विश्वनाथ होगा। दरअसल, महाशिवरात्रि के चलते 7 अखाड़ों के नागा और अघोरी साधु काशी विश्वनाथ जाएंगे। वो वहां पर 26 तारीख यानी महाशिवरात्रि तक अपना डेरा जमाएंगे। क्या आप जानते हैं इन साधुओं का अगला पड़ाव कहां होगा? ये कहां जाएंगे और क्या करेंगे? 


बता दें कि महाकुंभ में अमृत स्नान के बाद साधु-संत ध्यान में लीन हो जाते हैं। आखिरी अमृत स्नान करने के बाद सभी नागा अपने-अपने अखाड़ों में चले जाते हैं। माना जाता है कि नागा साधु कुंभ मेले में गंगा स्नान करने आते हैं और फिर मेला खत्म हो जाने के बाद हिमालय की पहाड़ों, कंदराओं और जंगलों में तप करने चले जाते हैं। नागा साधु फल और पानी पर ही जीवन बिताते हैं। वो अध्यात्म और हठयोग पर ज्यादा बल देते हैं।


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राम नाम मतवाला,

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पार भव से उतर जायेगा।

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