Logo

नई दुकान की पूजा विधि

नई दुकान की पूजा विधि

Dukan Puja Vidhi: दुकान की स्थापना पूजा करने से होती है आर्थिक उन्नति, जानें लाभ और पूजा विधि


किसी भी व्यक्ति के लिए नया व्यापार शुरू करना जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। यह एक नई उम्मीद और सपनों की शुरुआत होती है। इसी कारण हर व्यवसायी अपनी दुकान की स्थापना के समय पूजा करता है।


भारत में, नई दुकान या व्यापार शुरू करने से पहले पूजा-पाठ करना एक परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि पूजा करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्यापार में उन्नति होती है। साथ ही, इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक शांति मिलती है।


इस पूजा का मुख्य उद्देश्य व्यापार में आने वाली बाधाओं को दूर करना, धन-धान्य की प्राप्ति और व्यापार को सफल बनाना होता है। आइए, जानते हैं दुकान की स्थापना पूजा की विधि, महत्व और लाभ।



दुकान स्थापना पूजा का महत्व:


भारत में अधिकतर लोगों का विश्वास है कि पूजा करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्यापार में सफलता मिलती है।


  • पूजा करने से व्यापारी के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • यह पूजा एक सामाजिक आयोजन भी होती है, जिसमें व्यापारी अपने ग्राहकों और रिश्तेदारों को आमंत्रित कर सकता है, जिससे व्यापार का प्रचार भी होता है।
  • व्यापार में आर्थिक समृद्धि और स्थिरता आती है।



दुकान स्थापना पूजा विधि:


1. शुभ मुहूर्त का चयन करें: किसी भी कार्य की सफलता के लिए शुभ मुहूर्त देखना आवश्यक होता है। इसके लिए पंचांग या ज्योतिषी की सलाह लें।

2. पूजा स्थल की सफाई करें: जिस स्थान पर पूजा करनी हो, वहां साफ-सफाई करें और फूलों से सजाएं।

3. देवी-देवताओं की स्थापना करें:

  • लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और माता सरस्वती की मूर्तियां स्थापित करें।

4. पूजा सामग्री अर्पित करें:

  • मूर्तियों पर रोली, चंदन, हल्दी, धूप और प्रसाद चढ़ाएं।

5. मंत्रोच्चार करें:

  • भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का स्मरण करें, मंत्रों का जाप करें और व्यापार में सफलता की प्रार्थना करें।

6. आरती करें:

  • दीपक जलाकर आरती करें और अंत में प्रसाद वितरण करें।


दुकान स्थापना पूजा के लाभ:


  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और कार्यक्षेत्र में शुभता बनी रहती है।
  • व्यापार में बरकत और सफलता मिलती है।
  • कर्मचारियों और मालिक के बीच अच्छा तालमेल बना रहता है।
  • व्यापार में आर्थिक उन्नति होती है और बाधाएं दूर होती हैं।

........................................................................................................
मां वैष्णो देवी चालीसा (Maa Vaishno Devi Chalisa)

गरुड़ वाहिनी वैष्णवी, त्रिकुटा पर्वत धाम
काली, लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति तुम्हें प्रणाम।

श्री राधा चालीसा (Shri Radha Chalisa)

श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार ॥

श्री महाकाली चालीसा (Shri Mahakali Chalisa)

जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥

श्री विन्धेश्वरी चालीसा (Shri Vindheshwari Chalisa)

नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang