Guruwar Puja Vidhi: सनातन धर्म में गुरुवार दिन का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन व्रत करने का भी एक अलग ही महत्व है। ऐसी मान्यता है कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से और व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। दरअसल, ज्योतिषियों के अनुसार गुरुवार का दिन भगवान विष्णु जी और बृहस्पति देव को समर्पित है। इसलिए इस दिन व्रत और पूजा-अर्चना का महत्व अन्य दिनों के मुकाबले और भी बढ़ जाता है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि अगर हम गुरुवार को व्रत रखते हैं तो इससे हमें माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। अगर किसी को विवाह संबंधी परेशानी से सामना करना पड़ रहा है तो वह परेशानी भी इस दिन व्रत करने से समाप्त हो जाती है। ऐसे में आइए, इस आर्टिकल में आपको बताते हैं गुरुवार व्रत की पूजा विधि...
अगर कोई व्यक्ति पहली बार गुरुवार का व्रत रख रहा है तो वह अपने अनुसार किसी भी गुरुवार को व्रत शुरू कर सकता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि एक निश्चित दिनों की संकल्प लेनी होती है। वैसे मान्यताओं के अनुसार कोई भी भक्त 5, 11, 21, 51 और 101 गुरुवार का व्रत रख सकते हैं। व्रत रखने वाले व्यक्ति गुरुवार के दिन सूर्योदय से पहले जाग जाएं और सभी दैनिक कामों से निवृत्त होकर सूर्योदय से पहले स्नान कर लें। स्नान करने के बाद व्यक्ति को गुरुवार के दिन पीले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए।
वस्त्र धारण करने के बाद अपने हाथों में गंगाजल ले और उसे पूरे घर में छिड़क कर घर को शुद्ध करें। तत्पश्चात जहां आप पूजा करने वाले हैं या फिर पूजा घर में भगवान विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा स्थापित करने के बाद भगवान विष्णु को पीले रंग का पुष्प अर्पित करें। साथ ही प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं। इसके बाद भगवान को चना और गुड़ का भोग लगाएं। साथ ही इसके बाद धर्मशास्तार्थ तत्वज्ञ ज्ञानविज्ञानपारग। विविधार्तिहराचिन्त्य देवाचार्य नमोऽस्तु ते॥ मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप करने के बाद गुरुवार व्रत कथा पढ़ें। विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद केले के पेड़ पर जल अर्पित करें।
अगर कोई भी व्यक्ति गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा कर रहा है तो उसे उस दिन भूलकर भी केले का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही, गुरुवार के दिन पीला भोजन ग्रहण करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी भक्त काली दाल की खिचड़ी और चावल का सेवन न करें। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई भी व्यक्ति गुरुवार के दिन चावल खाता है, तो उससे उनको धन की हानि हो सकती है।
प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत होने में एक महीने से भी कम समय रह गया है। साधु-संतों के अखाड़े प्रयागराज पहुंच चुके हैं। वहीं लोग बड़ी संख्या में संगम पर स्नान करने आने वाले हैं। लेकिन इसके साथ ऐसे भी कुछ श्रद्धालु होंगे, जो कल्पवास के लिए प्रयाग पहुंचेंगे।
कल्पवास की परंपरा हिंदू संस्कृति का अहम हिस्सा है। इस पंरपरा के मुताबिक व्यक्ति को एक महीने तक गंगा किनारे रहकर अनुशासित जीवनशैली का पालन करना होता है। यह एक तरह का कठिन तप माना गया है।
कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में होने जा रही है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंचने वाले हैं। इस आयोजन का मुख्य आकर्षण कल्पवास होगा। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है, जो माघ मास में किया जाता है।
सनातन धर्म में रंगों को हमेशा से पवित्र माना गया है। रंगोली, न सिर्फ हमारे घरों को सजाती है बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी हमारे मन को शांत और खुशहाल बनाती है।