हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं के एक विशेष स्थान और महत्व है। सभी देवी-देवताओं की पूजा भी विशेष रूप से करने का विधान हैं। वहीं देवी-देवताओं के साथ-साथ पंचतत्व की पूजा-अर्चना भी विशेष रूप की जाती है। पंचतत्व में जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी और आकाश शामिल हैं। जिसमें से एक जल का भी विशेष स्थान है। आपको बता दें, भगवान विष्णु को जल के देवता के रूप में भी पूजा जाते हैं। उन्हें जलधि के नायक के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि वे सागर में निवास करते हैं और जल को जीवनदायिनी मानते हैं। समुद्र को विष्णु का निवास स्थल माना जाता है। विष्णु के अधीन जल का संरक्षण, जीवन का पालन और विनाश कार्य होते हैं। अब ऐसे में अगर आप जल देवता की पूजा-अर्चना कर रहे हैं, तो किस विधि से करना शुभ माना जाता है और पूजा सामग्री के साथ-साथ पूजा का महत्व क्या है। इसके बारे में विस्तार से इस लेख में जानते हैं।
जल देवता की पूजा आप किसी साफ नदी के तट पर बैठकर कर सकते हैं।
जल देवता की पूजा करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही अगर आपको बार-बार जल से संबंधित कोई परेशानी झेलनी पड़ रही है, तो उससे मुक्ति मिल सकती है। साथ ही व्यक्ति को सुख-समृद्धि और सौभाग्य में भी वृद्धि हो सकती है। जल देवता की पूजा करने के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से करें। विष्णु जी की पूजा अवश्य करें। इनकी पूजा के बिना जल देवता की पूजा अधूरी मानी जाती है।
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नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। नवरात्रि में माता की आराधना, विभिन्न धार्मिक आयोजन, गरबा, जगराते और व्रत उपवास रखने की परंपरा है।
हमारी चेतना के भीतर सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण तीनों प्रकार के गुण व्याप्त है। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते हैं।
नवरात्रि के पर्व के दौरान मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इन दिनों देवी के दर्शन और विधिपूर्वक पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के सभी कष्टों का निवारण भी हो जाता है।