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मुंडन संस्कार पूजा विधि

मुंडन संस्कार पूजा विधि

Mundan Sanskar: मुंडन संस्कार के दौरान बच्चे के पहली बार काटे जाते है बाल, जानें पूजा विधि और इस संस्कार के लाभ 


मुंडन संस्कार हिंदू धर्म के सबसे पवित्र संस्कारों में से एक हैं। इसे बच्चे के जन्म के एक निश्चित समय बाद पूरा किया जाना होता है। यह संस्कार बच्चे के जीवन में एक नया चरण शुरू करने का प्रतीक होता है।इसी कारण से परिवार इसे बड़े धूमधाम से मनाता है। इस प्रक्रिया में बच्चे के सिर के बाल पहली बार काटे जाते हैं। जिससे आध्यात्मिक और शारीरिक शुद्धि होती है।मुंडन संस्कार आमतौर पर बच्चे के पहले या तीसरे वर्ष में किया जाता है, हालांकि कुछ परिवारों में इसे पांचवें या सातवें वर्ष में भी किया जाता है। इसे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।चलिए आपको मुंडन संस्कार की प्रक्रिया  के बारे में लेख के जरिए और विस्तार से बताते हैं।


मुंडन संस्कार की प्रक्रिया और पूजा विधि


  • मुंडन संस्कार से पहले बच्चे को पवित्र जल (गंगाजल) से स्नान कराएं। इसके बाद  सबसे पहले  प्रथम पूज्य  भगवान गणेश की पूजा करें , ताकि मुंडन संस्कार में कोई बाधा न आए।
  • इसके बाद बच्चे को गोद में लेकर मंडप में बैठाए। फिर संकल्प ले कि वे अपने बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य और सुखद भविष्य के लिए इस संस्कार को करवा रहे हैं।
  • इसके बाद शुभ मुहूर्त में बच्चे के सिर के बाल  नाई की मदद से उतरवाएं।मुंडन के बाद बच्चे को किसी पवित्र नदी या जल में स्नान कराएं।  यदि यह संभव न हो, तो गंगाजल छिड़ककर स्नान कराया जा सकता है।
  • मुंडन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दक्षिणा दें। इसके बाद बच्चे को परिजन और रिश्तेदार बच्चे को आशीर्वाद दिलवाएं।


मुंडन संस्कार के लाभ 


मुंडन संस्कार के कई लाभ होते हैं। 


  • सिर के बाल हटाने से स्कैल्प की सफाई होती है, जिससे बालों के विकास में सुधार होता है। इससे बच्चे के अंदर सकारात्मक ऊर्जा आती है। 
  • छोटे बच्चों को अधिक गर्मी लगती है। मुंडन करने से उन्हें गर्मी से राहत मिलती है और वे अधिक आरामदायक महसूस करते हैं।
  • यह माना जाता है कि मुंडन करने से बच्चे के पिछले जन्म के दोष समाप्त हो जाते हैं, वहीं वैज्ञानिक रूप से, मुंडन से सिर में रक्त संचार बढ़ता है और मस्तिष्क के विकास में सहायता मिलती है।


मुंडन संस्कार का महत्व 


मुंडन संस्कार का  धार्मिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्व है। धार्मिक दृष्टि से, यह संस्कार बच्चे के पिछले जन्म के ऋणों को चुकाने में मदद करता है। साथ ही बच्चे को बुरी नजर से भी बचाता है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सिर मुंडवाने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं, जिससे नए और स्वस्थ बाल उगते हैं। वहीं सांस्कृतिक रूप से यह परंपरा सदियों से हिंदू संस्कृति में चली आ रही है।


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