मुंडन संस्कार हिंदू धर्म के सबसे पवित्र संस्कारों में से एक हैं। इसे बच्चे के जन्म के एक निश्चित समय बाद पूरा किया जाना होता है। यह संस्कार बच्चे के जीवन में एक नया चरण शुरू करने का प्रतीक होता है।इसी कारण से परिवार इसे बड़े धूमधाम से मनाता है। इस प्रक्रिया में बच्चे के सिर के बाल पहली बार काटे जाते हैं। जिससे आध्यात्मिक और शारीरिक शुद्धि होती है।मुंडन संस्कार आमतौर पर बच्चे के पहले या तीसरे वर्ष में किया जाता है, हालांकि कुछ परिवारों में इसे पांचवें या सातवें वर्ष में भी किया जाता है। इसे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।चलिए आपको मुंडन संस्कार की प्रक्रिया के बारे में लेख के जरिए और विस्तार से बताते हैं।
मुंडन संस्कार के कई लाभ होते हैं।
मुंडन संस्कार का धार्मिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्व है। धार्मिक दृष्टि से, यह संस्कार बच्चे के पिछले जन्म के ऋणों को चुकाने में मदद करता है। साथ ही बच्चे को बुरी नजर से भी बचाता है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सिर मुंडवाने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं, जिससे नए और स्वस्थ बाल उगते हैं। वहीं सांस्कृतिक रूप से यह परंपरा सदियों से हिंदू संस्कृति में चली आ रही है।
सभकेर सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे
हमरा किए बिसरै छी हे
शबरी तुम्हरी बाट निहारे,
वो तो रामा रामा पुकारे,
सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हे,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये,
सबसे पहला मनावा,
थाने देवा रा सरदार,