दीपावली, जिसे दीपोत्सव या महालक्ष्मी पूजन का पर्व भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का सबसे पावन त्योहारों में से एक है। यह पर्व विशेषकर धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए ही मनाया जाता है। पूरी विधि-विधान से लक्ष्मी पूजन करने से घर में सुख, समृद्धि और शुभता का वास होता है। इस पूजा में शास्त्रोक्त विधि, पवित्रता और सही सामग्री का विशेष महत्व है। लक्ष्मीजी को कमल, गुलाब, चावल और स्वर्ण आभूषण अत्यधिक प्रिय हैं। इस आलेख में विस्तार से जानिए पूजा की तैयारी, विधि, सामग्री के बारे में।
दो बड़े दीपक रखें जिसमें से एक घी का और दूसरा तेल का रखें। दीपक मूर्तियों के चरणों में, गणेशजी के पास और चौकी के दाईं ओर रखें।
1. पुष्प: कमल और गुलाब।
2. फल: श्रीफल (नारियल), सीताफल, बेर, अनार, सिंघाड़ा।
3. सुगंध: केवड़ा, गुलाब और चंदन का इत्र।
4. अनाज: चावल।
5. मिठाई: घर में बनी शुद्ध केसरयुक्त मिठाई या हलवा को भोग के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
6. प्रकाश: गाय के घी, मूंगफली या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
हाथ में जल लेकर यह संकल्प करें। "मैं (अपना नाम) अमुक स्थान और समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा कर रहा हूं ताकि मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो।"
माता लक्ष्मी को कमल, गुलाब, मिठाई, चावल, और इत्र अर्पित करें। दीप प्रज्वलित करें और कपूर जलाकर आरती करें। अब लक्ष्मी स्तोत्र, मंत्र और माला का जाप करें।
परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करें। दीपक को रातभर जलते रहने दें, यह बेहद ही शुभ माना जाता है।
मेरे नैनों की प्यास बुझा दे
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
हो, लाली मेरी मात की, जित देखूँ तित लाल
लाली देखन मैं गया, मैं भी हो ग्या लाल
सदा पापी से पापी को भी तुम, माँ, भव-सिंधु तारी हो फँसी मझधार में नैय्या को भी पल में उबारी हो
झूला झुलाये रहे वाह रे लंगूरवा।
झूला झुलाये रहे वाह रे लंगूरवा।